संख्यावती

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संख्यावती नामक नगर का उल्लेख जैन धार्मिक ग्रंथ 'विविध तीर्थकल्प' में हुआ है। जैन ग्रंथ 'विविध तीर्थकल्प' में 'अहिच्छत्र' (अहिक्षेत्र)[1] का नाम 'संख्यावती' बताया गया है।[2]

  • विविध तीर्थकल्प में वर्णित है कि एक समय जब तीर्थंकर पार्श्वनाथ संख्यावती में ठहरे हुए थे तो कमठदानव ने उनके ऊपर घोर वर्षा की। उस समय नागराज धरणींद्र ने उनके ऊपर अपने फनों का फैलाकर उनकी रक्षा की और इसीलिए इस नगरी का नाम अहिच्छत्रा हो गया।
  • जैन ग्रंथ के विवरण से सूचित होता है कि इस नगरी के पास प्राचीन काल में बहुत-से घने वन थे और उनमें नाग जाति का निवास था।
  • उपरोक्त अनुश्रुति चीनी यात्री युवानच्वांग के यात्रा वृत्तांत से भी पुष्ट होती है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. पंचाल देश की महाभारतकालीन राजधानी
  2. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 927 |

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