"संतोषी माता की आरती" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
छो (Text replacement - " शृंगार " to " श्रृंगार ")
 
(2 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 7 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 3: पंक्ति 3:
 
अपने सेवक जन को, सुख संपति दाता ॥ जय…
 
अपने सेवक जन को, सुख संपति दाता ॥ जय…
  
सुंदर चीर सुनहरी, मां धारण कीन्हो ।
+
सुंदर चीर सुनहरी, माँ धारण कीन्हो ।
 
हीरा पन्ना दमके, तन श्रृंगार लीन्हो ॥ जय…
 
हीरा पन्ना दमके, तन श्रृंगार लीन्हो ॥ जय…
  
 
गेरू लाल छटा छवि, बदन कमल सोहे ।
 
गेरू लाल छटा छवि, बदन कमल सोहे ।
मंद हँसत करूणामयी, त्रिभुवन जन मोहे ॥ जय…
+
मंद हँसत करुणामयी, त्रिभुवन जन मोहे ॥ जय…
  
 
स्वर्ण सिंहासन बैठी, चंवर ढुरे प्यारे ।
 
स्वर्ण सिंहासन बैठी, चंवर ढुरे प्यारे ।
पंक्ति 33: पंक्ति 33:
 
संकट तू ही निवारे, दयामयी अंबे ॥ जय…
 
संकट तू ही निवारे, दयामयी अंबे ॥ जय…
  
संतोषी मां की आरती, जो कोई नर गावे ।
+
संतोषी माँ की आरती, जो कोई नर गावे ।
 
ॠद्धि-सिद्धि सुख संपत्ति, जी भरकर पावे ॥ जय…</poem></span></blockquote>
 
ॠद्धि-सिद्धि सुख संपत्ति, जी भरकर पावे ॥ जय…</poem></span></blockquote>
  
 +
{{seealso|संतोषी चालीसा|आरती संग्रह}}
 +
 +
{{प्रचार}}
 +
{{लेख प्रगति
 +
|आधार=
 +
|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1
 +
|माध्यमिक=
 +
|पूर्णता=
 +
|शोध=
 +
}}
 
==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==
{{आरती स्तुति स्त्रोत}}
+
{{आरती स्तुति स्तोत्र}}
[[Category:आरती_स्तुति_स्त्रोत]]
+
[[Category:आरती स्तुति स्तोत्र]]
[[Category:हिन्दू धर्म]] [[Category:हिन्दू धर्म कोश]]  
+
[[Category:हिन्दू धर्म]] [[Category:हिन्दू धर्म कोश]][[Category:धर्म कोश]]  
 
__INDEX__
 
__INDEX__

08:53, 17 जुलाई 2017 के समय का अवतरण

संतोषी माता
Santoshi Mata

जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता ।
अपने सेवक जन को, सुख संपति दाता ॥ जय…

सुंदर चीर सुनहरी, माँ धारण कीन्हो ।
हीरा पन्ना दमके, तन श्रृंगार लीन्हो ॥ जय…

गेरू लाल छटा छवि, बदन कमल सोहे ।
मंद हँसत करुणामयी, त्रिभुवन जन मोहे ॥ जय…

स्वर्ण सिंहासन बैठी, चंवर ढुरे प्यारे ।
धूप, दीप, मधुमेवा, भोग धरें न्यारे ॥ जय…

गुड़ अरु चना परमप्रिय, तामे संतोष कियो।
संतोषी कहलाई, भक्तन वैभव दियो ॥ जय…

शुक्रवार प्रिय मानत, आज दिवस सोही ।
भक्त मण्डली छाई, कथा सुनत मोही ॥ जय…

मंदिर जगमग ज्योति, मंगल ध्वनि छाई ।
विनय करें हम बालक, चरनन सिर नाई ॥ जय…

भक्ति भावमय पूजा, अंगीकृत कीजै ।
जो मन बसे हमारे, इच्छा फल दीजै ॥ जय…

दुखी, दरिद्री, रोगी, संकटमुक्त किए ।
बहु धन-धान्य भरे घर, सुख सौभाग्य दिए ॥ जय…

ध्यान धर्यो जिस जन ने, मनवांछित फल पायो ।
पूजा कथा श्रवण कर, घर आनंद आयो ॥ जय…

शरण गहे की लज्जा, राखियो जगदंबे ।
संकट तू ही निवारे, दयामयी अंबे ॥ जय…

संतोषी माँ की आरती, जो कोई नर गावे ।
ॠद्धि-सिद्धि सुख संपत्ति, जी भरकर पावे ॥ जय…

इन्हें भी देखें: संतोषी चालीसा एवं आरती संग्रह


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

संबंधित लेख