एक्स्प्रेशन त्रुटि: अनपेक्षित उद्गार चिन्ह "२"।

"संत पीपा" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
(''''संत पीपा''' मध्यकालीन राजस्थान में भक्ति आन्दोलन...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
 
पंक्ति 15: पंक्ति 15:
 
==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==
 
{{भारत के संत}}
 
{{भारत के संत}}
[[Category:धर्म प्रवर्तक और संत]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व]][[Category:जीवनी साहित्य]][[Category:हिन्दू धर्म कोश]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व कोश]][[Category:चरित कोश]][[Category:इतिहास कोश]]
+
[[Category:मध्य काल]][[Category:धर्म प्रवर्तक और संत]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व]][[Category:जीवनी साहित्य]][[Category:हिन्दू धर्म कोश]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व कोश]][[Category:चरित कोश]][[Category:इतिहास कोश]]
 
__INDEX__
 
__INDEX__

09:11, 12 जून 2014 के समय का अवतरण

संत पीपा मध्यकालीन राजस्थान में भक्ति आन्दोलन के प्रमुख संतों में से एक थे। वे देवी दुर्गा के भक्त बन गए थे। बाद के समय में उन्होंने रामानंद जी को अपना गुरु मान लिया। फिर वे अपनी पत्नी सीता के साथ राजस्थान के तोडा नगर में एक मंदिर में रहने लगे थे।[1]

  • संत पीपा जी का जन्म 1426 ईसवी में राजस्थान में कोटा से 45 मील पूर्व दिशा में गगनौरगढ़ रियासत में हुआ था।
  • इनके बचपन का नाम राजकुमार प्रतापसिंह था और लक्ष्मीवती इनकी माता थीं।
  • पीपा जी ने रामानंद से दीक्षा लेकर राजस्थान में निर्गुण भक्ति परम्परा का सूत्रपात किया था।
  • दर्जी समुदाय के लोग संत पीपा जी को आपना आराध्य देव मानते हैं।
  • बाड़मेर ज़िले के समदड़ी कस्बे में संत पीपा का एक विशाल मंदिर बना हुआ है, जहाँ हर वर्ष विशाल मेला लगत है। इसके अतिरिक्त गागरोन (झालावाड़) एवं मसुरिया (जोधपुर) में भी इनकी स्मृति में मेलों का आयोजन होता है।
  • संत पीपाजी ने "चिंतावानी जोग" नामक गुटका की रचना की थी, जिसका लिपि काल संवत 1868 दिया गया है।
  • पीपा जी ने अपना अंतिम समय टोंक के टोडा गाँव में बिताया था और वहीं पर चैत्र माह की कृष्ण पक्ष नवमी को इनका निधन हुआ, जो आज भी 'पीपाजी की गुफ़ा' के नाम से प्रसिद्ध है।
  • गुरु नानक देव ने इनकी रचना इनके पोते अनंतदास के पास से टोडा नगर में ही प्राप्त की थी। इस बात का प्रमाण अनंतदास द्वारा लिखित 'परचई' के पच्चीसवें प्रसंग से भी मिलता है। इस रचना को बाद में गुरु अर्जुन देव ने 'गुरु ग्रंथ साहिब' में जगह दी थी।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. संत पीपाजी (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 12 जून, 2014।

संबंधित लेख