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*निजी संपत्ति को अनिवार्यत: अर्जित या अधिग्रहीत करने की राज्य की शक्तियों की फिर से ठीक-ठीक ढंग से व्याख्या करने और इसे उन मामलों से जहाँ राज्य की विनियमनकारी और प्रतिषेधात्मक विधियों के प्रवर्तन से किसी व्यक्ति संपत्ति से वंचित किया गया हो, अलग करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 31 (2) में संशोधन किया गया।  
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10:10, 5 जुलाई 2013 के समय का अवतरण

संविधान संशोधन- चौथा
भारत का संविधान
विवरण 'भारतीय संविधान' का निर्माण 'संविधान सभा' द्वारा किया गया था। संविधान में समय-समय पर आवश्यकता होने पर संशोधन भी होते रहे हैं। विधायिनी सभा में किसी विधेयक में परिवर्तन, सुधार अथवा उसे निर्दोष बनाने की प्रक्रिया को ही 'संशोधन' कहा जाता है।
संविधान लागू होने की तिथि 26 जनवरी, 1950
चौथा संशोधन 1955
संबंधित लेख संविधान सभा
अन्य जानकारी 'भारत का संविधान' ब्रिटेन की संसदीय प्रणाली के नमूने पर आधारित है, किन्तु एक विषय में यह उससे भिन्न है। ब्रिटेन में संसद सर्वोच्च है, जबकि भारत में संसद नहीं; बल्कि 'संविधान' सर्वोच्च है।

भारत का संविधान (चौथा संशोधन) अधिनियम, 1955

  • भारत के संविधान में एक और संशोधन किया गया।
  • निजी संपत्ति को अनिवार्यत: अर्जित या अधिग्रहीत करने की राज्य की शक्तियों की फिर से ठीक-ठीक ढंग से व्याख्या करने और इसे उन मामलों से जहाँ राज्य की विनियमनकारी और प्रतिषेधात्मक विधियों के प्रवर्तन से किसी व्यक्ति संपत्ति से वंचित किया गया हो, अलग करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 31 (2) में संशोधन किया गया।
  • संविधान के अनुच्छेद 31क की परिधि का जमींदारी अन्मूलन जैसे आवश्यक कल्याणकारी क़ानूनों तक विस्तार करने तथा शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों के समुचित आयोजन और देश के खनिज तथा तेल स्त्रोतों पर पूरा नियंत्रण करने के उद्देश्य से इस अनुच्छेद का संशोधन किया गया।
  • नौवीं अनुसूची में छह अधिनियम भी शामिल किए गए।
  • राज्य-एकाधिपत्यों के लिए उपबंध करने वाली विधियों के समर्थन में अनुच्छेद 305 में भी संशोधन किया गया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख