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*सत्य साईं बाबा देश के बेहद प्रभावशाली अध्यात्म गुरुओ में से एक थे। आज दुनिया जिन्हें सत्य साई बाबा के नाम से जानती है उनके बचपन का नाम आर. सत्यनारायण राजू था। सत्य साईं का जन्म भारत के आन्ध्र प्रदेश के छोटे से गांव गोवर्धन पल्ली में 23 नवंबर 1926 को हुआ था। इसी जगह को आज पुट्टापर्थी के रूप में जाना जाता है। वो बचपन से ही बड़े अक्लमंद और दयालु थे, तथा वे प्रमाणित और आर्दश गुणवत्ता के कारण अपने गाव के अन्य बच्चो से भिन्न थे। संगीत, नृत्य, गाना, लिखना इन सबमें काफी अच्छे थे। ऐसा कहा जाता है कि वो बचपन में ही हवा से मिठाई और खाने पीने की दूसरी चीजें पैदा कर देते थे।
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*सत्य साईं बाबा देश के बेहद प्रभावशाली अध्यात्म गुरुओ में से एक थे। आज दुनिया जिन्हें सत्य साई बाबा के नाम से जानती है उनके बचपन का नाम आर. सत्यनारायण राजू था। सत्य साईं का जन्म भारत के आन्ध्र प्रदेश के छोटे से गांव गोवर्धन पल्ली में 23 नवंबर 1926 को हुआ था। इसी जगह को आज पुट्टापर्थी के रूप में जाना जाता है। वो बचपन से ही बड़े अक्लमंद और दयालु थे, तथा वे प्रमाणित और आर्दश गुणवत्ता के कारण अपने गाव के अन्य बच्चो से भिन्न थे। संगीत, नृत्य, गाना, लिखना इन सबमें काफी अच्छे थे। ऐसा कहा जाता है कि वो बचपन में ही चमत्कार दिखाने लग गए थे, हवा से मिठाई और खाने पीने की दूसरी चीजें पैदा कर देते थे।
 
*जब वह मात्र 14 वर्ष के थे तब उन्हे बिच्छू ने काट लिया। उसके बाद उनका व्यवहार ही बदल गया। वह हंसते-हंसते अचानक रोने लगते। कभी-कभी सस्कृत के श्लोक बोलने लगते। उनके पिता ने उन्हें कई संतों, डॉक्टरों और ओझाओं से दिखाया। डॉक्टरों ने सोचा उन्हें हिस्टीरिया हो गया है।  
 
*जब वह मात्र 14 वर्ष के थे तब उन्हे बिच्छू ने काट लिया। उसके बाद उनका व्यवहार ही बदल गया। वह हंसते-हंसते अचानक रोने लगते। कभी-कभी सस्कृत के श्लोक बोलने लगते। उनके पिता ने उन्हें कई संतों, डॉक्टरों और ओझाओं से दिखाया। डॉक्टरों ने सोचा उन्हें हिस्टीरिया हो गया है।  
 
*जब वह 29 अक्टूबर 1940 को 14 साल के हुए उसी समय वह अपने गाव के लोगो और परिवार के समक्ष यह घोषित किया कि वह साई बाबा को जान सके और साई अध्यात्म का प्रचार प्रसार कर सके। इसके लिए उन्होने उच्च शिक्षा प्राप्त कि जिससे की वह मानव जीवन में अध्यात्म शांति और प्रेम का प्रचार प्रसार कर सके। उन्होने 1947 में अपने भाई को पत्र लिखा और पत्र में कहा कि मेरे पास कार्य है कि सभी मानव जाति में शांति सुख और प्रेम की धारा बहा दूं।  
 
*जब वह 29 अक्टूबर 1940 को 14 साल के हुए उसी समय वह अपने गाव के लोगो और परिवार के समक्ष यह घोषित किया कि वह साई बाबा को जान सके और साई अध्यात्म का प्रचार प्रसार कर सके। इसके लिए उन्होने उच्च शिक्षा प्राप्त कि जिससे की वह मानव जीवन में अध्यात्म शांति और प्रेम का प्रचार प्रसार कर सके। उन्होने 1947 में अपने भाई को पत्र लिखा और पत्र में कहा कि मेरे पास कार्य है कि सभी मानव जाति में शांति सुख और प्रेम की धारा बहा दूं।  
*23 मई 1940 को उनकी दिव्यता का लोगों को अहसास हुआ। सत्य साईं ने घर के सभी लोगों को बुलाया और चमत्कार दिखाने लगे। उनके पिता को लगा कि उनके बेटे पर किसी भूत का साया पड़ गया है। उन्होंने एक छड़ी ली और सत्यनारायण से पूछा कि कौन हो तुम ? सत्यनारायण ने कहा कि मैं साईं बाबा हूं। इस घटना के बाद उन्होंने अपने आप को शिरडी साईं बाबा का अवतार घोषित कर दिया। शिरडी साईं बाबा, सत्य साईं की पैदाइश से 8 साल पहले ही गुजर चुके थे। खुद को शिरडी साईं बाबा का अवतार घोषित करने के बाद सत्य साई बाबा के पास श्रद्धालुओं की भीड़ जुटने लगी।
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*23 मई 1940 को उनकी दिव्यता का लोगों को अहसास हुआ। सत्य साईं ने घर के सभी लोगों को बुलाया और चमत्कार दिखाने लगे। जिसमे वह हाथ उपर लेकर जाते है और देखते ही देखते उनके हाथ में सोने कि चेन आ जाती है। उनके पिता को लगा कि उनके बेटे पर किसी भूत का साया पड़ गया है। उन्होंने एक छड़ी ली और सत्यनारायण से पूछा कि कौन हो तुम ? सत्यनारायण ने कहा कि मैं साईं बाबा हूं। इस घटना के बाद उन्होंने अपने आप को शिरडी साईं बाबा का अवतार घोषित कर दिया। शिरडी साईं बाबा, सत्य साईं की पैदाइश से 8 साल पहले ही गुजर चुके थे। खुद को शिरडी साईं बाबा का अवतार घोषित करने के बाद सत्य साई बाबा के पास श्रद्धालुओं की भीड़ जुटने लगी।
 
*सत्य साई बाबा अपने शिष्यों को यही समझाते रहे कि उन्हें अपना धर्म और अपना ईष्ट छोड़ने की जरूरत नहीं। उन्होंने मद्रास और दक्षिण भारत के अन्य हिस्सों की यात्रा की। उनके भक्तों की तादाद बढ़ गई। हर गुरुवार को उनके घर पर भजन होने लगा, जो बाद में रोजाना हो गया।
 
*सत्य साई बाबा अपने शिष्यों को यही समझाते रहे कि उन्हें अपना धर्म और अपना ईष्ट छोड़ने की जरूरत नहीं। उन्होंने मद्रास और दक्षिण भारत के अन्य हिस्सों की यात्रा की। उनके भक्तों की तादाद बढ़ गई। हर गुरुवार को उनके घर पर भजन होने लगा, जो बाद में रोजाना हो गया।
 
*साल 1944 में सत्य साई के एक भक्त ने उनके गांव के नजदीक उनके लिए एक मंदिर बनाया जो आज पुराने मंदिर के नाम से जाना जाता है। उनके मौजूदा आश्रम प्रशांति निलयम का निर्माण कार्य 1948 में शुरू हुआ था और 1950 में ये बनकर तैयार हुआ था। 1957 में साईं बाबा उत्तर भारत के दौरे पर गये। 1963 में उन्हें कई बार दिल का दौरा पड़ा था, उससे वह उबर गए थे। ठीक होने पर उन्होंने एलान किया कि वो कर्नाटक प्रदेश में प्रेम साई बाबा के रूप में पुन: अवतरित होंगे।
 
*साल 1944 में सत्य साई के एक भक्त ने उनके गांव के नजदीक उनके लिए एक मंदिर बनाया जो आज पुराने मंदिर के नाम से जाना जाता है। उनके मौजूदा आश्रम प्रशांति निलयम का निर्माण कार्य 1948 में शुरू हुआ था और 1950 में ये बनकर तैयार हुआ था। 1957 में साईं बाबा उत्तर भारत के दौरे पर गये। 1963 में उन्हें कई बार दिल का दौरा पड़ा था, उससे वह उबर गए थे। ठीक होने पर उन्होंने एलान किया कि वो कर्नाटक प्रदेश में प्रेम साई बाबा के रूप में पुन: अवतरित होंगे।
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*29 जून 1968 को उन्होंने अपनी पहली और एकमात्र विदेश यात्रा की। वो युगांडा गए। जहां नैरोबी में उन्होंने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि मैं यहां आपके दिल में प्यार और सद्भाव का दीप जलाने आया हूं, मैं किसी धर्म के लिए नहीं आया, किसी को भक्त बनाने नहीं आया, मैं तो प्यार का संदेश फैलाने आया हूं।
 
*29 जून 1968 को उन्होंने अपनी पहली और एकमात्र विदेश यात्रा की। वो युगांडा गए। जहां नैरोबी में उन्होंने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि मैं यहां आपके दिल में प्यार और सद्भाव का दीप जलाने आया हूं, मैं किसी धर्म के लिए नहीं आया, किसी को भक्त बनाने नहीं आया, मैं तो प्यार का संदेश फैलाने आया हूं।
 
*श्री सत्य साईं बाबा का देहांत 24 अप्रैल 2011 की सुबह को हुआ था। सत्य साईं बाबा ने सुबह सात बजकर 40 मिनट पर अंतिम सांस ली था। वह 85 वर्ष के थे। बाबा दुनिया भर में लाखों लोगों के श्रद्धेय थे। उन्होंने भगवान तक पंहुचने के लिए, मानवता की सेवा करने का मार्ग चुना।  
 
*श्री सत्य साईं बाबा का देहांत 24 अप्रैल 2011 की सुबह को हुआ था। सत्य साईं बाबा ने सुबह सात बजकर 40 मिनट पर अंतिम सांस ली था। वह 85 वर्ष के थे। बाबा दुनिया भर में लाखों लोगों के श्रद्धेय थे। उन्होंने भगवान तक पंहुचने के लिए, मानवता की सेवा करने का मार्ग चुना।  
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*बाबा ने दान से आए रूपयों से वहां कि जनता की बहुत मदद कि थी, उन्होने 700 गावों को पानी मुहिया कराने के लिए 300 करोड़ की योजना बनाई थी। उन्होने शिक्षा के क्षेत्र में भी कई कार्य करें है बाबा ने मुफ्त में शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए कई कॉलेज बनवाए।
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*बाबा ज्यादा लोकप्रिय तब हुए जब लोगों ने यह देखा कि वह हाथ खुमातें और अचानक हाथ में सोना की चेन आ जाती और अपने पेट से उल्टी के जरिये सोने की बाल निकलाना, हाथों से अचानक भक्तों के लिए भभूत गिरना, लेकिन सन 1990 में ईश्वर के अवतार पर मानव के द्वारा आरोप लगाने से आहत होकर चमत्कार दिखाना बन्द कर दिया।
 
*सत्य साईं बाबा का पूरा जीवन मानवता की सेवा को समर्पित रहा। उनके सत्य साईं ट्रस्ट ने विभिन्न देशों में धर्मार्थ-निस्वार्थ भावना से इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए अस्पताल खोले, जिनके द्वार जरूरतमंदों के लिए हमेशा ही खुले रहते थे। सत्य साई बाबा की प्रेरणा से ही स्थापित सत्य साई सेंट्रल ट्रस्ट के पास आज 40 हजार करोड़ रुपए की चल-अचल सपत्ति है। कुछ लोगों का मानना है कि यह संपत्ति 1.50 लाख करोड़ रुपए है।  
 
*सत्य साईं बाबा का पूरा जीवन मानवता की सेवा को समर्पित रहा। उनके सत्य साईं ट्रस्ट ने विभिन्न देशों में धर्मार्थ-निस्वार्थ भावना से इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए अस्पताल खोले, जिनके द्वार जरूरतमंदों के लिए हमेशा ही खुले रहते थे। सत्य साई बाबा की प्रेरणा से ही स्थापित सत्य साई सेंट्रल ट्रस्ट के पास आज 40 हजार करोड़ रुपए की चल-अचल सपत्ति है। कुछ लोगों का मानना है कि यह संपत्ति 1.50 लाख करोड़ रुपए है।  
 
*साई बाबा द्वारा जो अनेक सस्थाएं स्थापित की गई है, उनकी देखभाल सत्य साई काट्रेक्टर ट्रस्ट द्वारा की जाती है। इस ट्रस्ट के माध्यम से पूरे विश्व के 186 देशों में करीब 1200 सस्थाएं चल रही है। इन सस्थाओं में डिग्री कॉलेज, मेडिकल कॉलेज, स्कूल, महिलाओं के कल्याण के लिए काम करने वाली सस्थाएं और प्रकाशन सस्थान शामिल है। इन सस्थाओं की तरफ से पुट्टपर्थी और बेंगलूर में कई अत्याधुनिक चिकित्सा केंद्रों का भी निर्माण किया गया है। अनेक शहरों में पानी की योजनाओं का सचालन भी यही सस्था कर रही है। बाबा जहां रहते थे, वहां सत्य साई यूनिवर्सिटी कांप्लेक्स, प्लेनेटोरियम, इडोर-आउटडोर स्टेडियम, एक अस्पताल, सगीत विद्यालय और एयरपोर्ट है।
 
*साई बाबा द्वारा जो अनेक सस्थाएं स्थापित की गई है, उनकी देखभाल सत्य साई काट्रेक्टर ट्रस्ट द्वारा की जाती है। इस ट्रस्ट के माध्यम से पूरे विश्व के 186 देशों में करीब 1200 सस्थाएं चल रही है। इन सस्थाओं में डिग्री कॉलेज, मेडिकल कॉलेज, स्कूल, महिलाओं के कल्याण के लिए काम करने वाली सस्थाएं और प्रकाशन सस्थान शामिल है। इन सस्थाओं की तरफ से पुट्टपर्थी और बेंगलूर में कई अत्याधुनिक चिकित्सा केंद्रों का भी निर्माण किया गया है। अनेक शहरों में पानी की योजनाओं का सचालन भी यही सस्था कर रही है। बाबा जहां रहते थे, वहां सत्य साई यूनिवर्सिटी कांप्लेक्स, प्लेनेटोरियम, इडोर-आउटडोर स्टेडियम, एक अस्पताल, सगीत विद्यालय और एयरपोर्ट है।

21:42, 24 अप्रैल 2011 का अवतरण

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  • सत्य साईं बाबा देश के बेहद प्रभावशाली अध्यात्म गुरुओ में से एक थे। आज दुनिया जिन्हें सत्य साई बाबा के नाम से जानती है उनके बचपन का नाम आर. सत्यनारायण राजू था। सत्य साईं का जन्म भारत के आन्ध्र प्रदेश के छोटे से गांव गोवर्धन पल्ली में 23 नवंबर 1926 को हुआ था। इसी जगह को आज पुट्टापर्थी के रूप में जाना जाता है। वो बचपन से ही बड़े अक्लमंद और दयालु थे, तथा वे प्रमाणित और आर्दश गुणवत्ता के कारण अपने गाव के अन्य बच्चो से भिन्न थे। संगीत, नृत्य, गाना, लिखना इन सबमें काफी अच्छे थे। ऐसा कहा जाता है कि वो बचपन में ही चमत्कार दिखाने लग गए थे, हवा से मिठाई और खाने पीने की दूसरी चीजें पैदा कर देते थे।
  • जब वह मात्र 14 वर्ष के थे तब उन्हे बिच्छू ने काट लिया। उसके बाद उनका व्यवहार ही बदल गया। वह हंसते-हंसते अचानक रोने लगते। कभी-कभी सस्कृत के श्लोक बोलने लगते। उनके पिता ने उन्हें कई संतों, डॉक्टरों और ओझाओं से दिखाया। डॉक्टरों ने सोचा उन्हें हिस्टीरिया हो गया है।
  • जब वह 29 अक्टूबर 1940 को 14 साल के हुए उसी समय वह अपने गाव के लोगो और परिवार के समक्ष यह घोषित किया कि वह साई बाबा को जान सके और साई अध्यात्म का प्रचार प्रसार कर सके। इसके लिए उन्होने उच्च शिक्षा प्राप्त कि जिससे की वह मानव जीवन में अध्यात्म शांति और प्रेम का प्रचार प्रसार कर सके। उन्होने 1947 में अपने भाई को पत्र लिखा और पत्र में कहा कि मेरे पास कार्य है कि सभी मानव जाति में शांति सुख और प्रेम की धारा बहा दूं।
  • 23 मई 1940 को उनकी दिव्यता का लोगों को अहसास हुआ। सत्य साईं ने घर के सभी लोगों को बुलाया और चमत्कार दिखाने लगे। जिसमे वह हाथ उपर लेकर जाते है और देखते ही देखते उनके हाथ में सोने कि चेन आ जाती है। उनके पिता को लगा कि उनके बेटे पर किसी भूत का साया पड़ गया है। उन्होंने एक छड़ी ली और सत्यनारायण से पूछा कि कौन हो तुम ? सत्यनारायण ने कहा कि मैं साईं बाबा हूं। इस घटना के बाद उन्होंने अपने आप को शिरडी साईं बाबा का अवतार घोषित कर दिया। शिरडी साईं बाबा, सत्य साईं की पैदाइश से 8 साल पहले ही गुजर चुके थे। खुद को शिरडी साईं बाबा का अवतार घोषित करने के बाद सत्य साई बाबा के पास श्रद्धालुओं की भीड़ जुटने लगी।
  • सत्य साई बाबा अपने शिष्यों को यही समझाते रहे कि उन्हें अपना धर्म और अपना ईष्ट छोड़ने की जरूरत नहीं। उन्होंने मद्रास और दक्षिण भारत के अन्य हिस्सों की यात्रा की। उनके भक्तों की तादाद बढ़ गई। हर गुरुवार को उनके घर पर भजन होने लगा, जो बाद में रोजाना हो गया।
  • साल 1944 में सत्य साई के एक भक्त ने उनके गांव के नजदीक उनके लिए एक मंदिर बनाया जो आज पुराने मंदिर के नाम से जाना जाता है। उनके मौजूदा आश्रम प्रशांति निलयम का निर्माण कार्य 1948 में शुरू हुआ था और 1950 में ये बनकर तैयार हुआ था। 1957 में साईं बाबा उत्तर भारत के दौरे पर गये। 1963 में उन्हें कई बार दिल का दौरा पड़ा था, उससे वह उबर गए थे। ठीक होने पर उन्होंने एलान किया कि वो कर्नाटक प्रदेश में प्रेम साई बाबा के रूप में पुन: अवतरित होंगे।
  • वह साई के बहुत ही बड़े भक्त थे और उनके गाव मे ही 23 नवम्बर 1950 को साई आम की स्थापना की गई थी। सत्य साई बाबा कई संस्था चला रहे वह शिक्षा स्वास्थ्य से सम्बंधी संस्था चला रहे थे। सत्य साई बाबा भारत के अध्यात्म गुरू थे। सत्य साई बाबा ने आध्यात्म की शिक्षा ग्रहण की और उन्होने यह संदेश दिया की सभी से प्रेम करो सभी की सहायता करो और किसी का भी बुरा मत करो। उन्होने साईं के प्रचार प्रसार के लिए कई वाल्यूम प्रकाशित भी किए। बाबा ने भारत को गुरूओ का देश कहा है। बाबा अपने भक्तो को संस्कति सभ्यता का उपदेश देते रहे है। बाब आयुर्वेद की सहायता से रोगीयो का इलाज भी करते थे। बाबा की आय का साधन उनके द्वारा बनाए गए संस्था है।
  • 29 जून 1968 को उन्होंने अपनी पहली और एकमात्र विदेश यात्रा की। वो युगांडा गए। जहां नैरोबी में उन्होंने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि मैं यहां आपके दिल में प्यार और सद्भाव का दीप जलाने आया हूं, मैं किसी धर्म के लिए नहीं आया, किसी को भक्त बनाने नहीं आया, मैं तो प्यार का संदेश फैलाने आया हूं।
  • श्री सत्य साईं बाबा का देहांत 24 अप्रैल 2011 की सुबह को हुआ था। सत्य साईं बाबा ने सुबह सात बजकर 40 मिनट पर अंतिम सांस ली था। वह 85 वर्ष के थे। बाबा दुनिया भर में लाखों लोगों के श्रद्धेय थे। उन्होंने भगवान तक पंहुचने के लिए, मानवता की सेवा करने का मार्ग चुना।
  • बाबा ने दान से आए रूपयों से वहां कि जनता की बहुत मदद कि थी, उन्होने 700 गावों को पानी मुहिया कराने के लिए 300 करोड़ की योजना बनाई थी। उन्होने शिक्षा के क्षेत्र में भी कई कार्य करें है बाबा ने मुफ्त में शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए कई कॉलेज बनवाए।
  • बाबा ज्यादा लोकप्रिय तब हुए जब लोगों ने यह देखा कि वह हाथ खुमातें और अचानक हाथ में सोना की चेन आ जाती और अपने पेट से उल्टी के जरिये सोने की बाल निकलाना, हाथों से अचानक भक्तों के लिए भभूत गिरना, लेकिन सन 1990 में ईश्वर के अवतार पर मानव के द्वारा आरोप लगाने से आहत होकर चमत्कार दिखाना बन्द कर दिया।
  • सत्य साईं बाबा का पूरा जीवन मानवता की सेवा को समर्पित रहा। उनके सत्य साईं ट्रस्ट ने विभिन्न देशों में धर्मार्थ-निस्वार्थ भावना से इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए अस्पताल खोले, जिनके द्वार जरूरतमंदों के लिए हमेशा ही खुले रहते थे। सत्य साई बाबा की प्रेरणा से ही स्थापित सत्य साई सेंट्रल ट्रस्ट के पास आज 40 हजार करोड़ रुपए की चल-अचल सपत्ति है। कुछ लोगों का मानना है कि यह संपत्ति 1.50 लाख करोड़ रुपए है।
  • साई बाबा द्वारा जो अनेक सस्थाएं स्थापित की गई है, उनकी देखभाल सत्य साई काट्रेक्टर ट्रस्ट द्वारा की जाती है। इस ट्रस्ट के माध्यम से पूरे विश्व के 186 देशों में करीब 1200 सस्थाएं चल रही है। इन सस्थाओं में डिग्री कॉलेज, मेडिकल कॉलेज, स्कूल, महिलाओं के कल्याण के लिए काम करने वाली सस्थाएं और प्रकाशन सस्थान शामिल है। इन सस्थाओं की तरफ से पुट्टपर्थी और बेंगलूर में कई अत्याधुनिक चिकित्सा केंद्रों का भी निर्माण किया गया है। अनेक शहरों में पानी की योजनाओं का सचालन भी यही सस्था कर रही है। बाबा जहां रहते थे, वहां सत्य साई यूनिवर्सिटी कांप्लेक्स, प्लेनेटोरियम, इडोर-आउटडोर स्टेडियम, एक अस्पताल, सगीत विद्यालय और एयरपोर्ट है।
  • पुट्टपार्थी में स्थित राजमहल जैसे प्रशाति निलय में बाबा निवास करते थे। पिछले वर्ष एक अनिवासी भारतीय की तरफ से सस्था को अस्पताल बनाने के लिए 300 करोड़ रुपए दिए गए थे। इसके बाद एक विदेशी भक्त द्वारा 200 करोड़ रुपए दान दिए गए। प्रशाति निलय में भक्तों के लिए भोजन और आवास की सुविधा निशुल्क है। सत्य साई सेंट्रल ट्रस्ट के अध्यक्ष सत्य साई बाबा स्वय थे। इस ट्रस्ट के कर्ताधर्ता सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारी के. चक्रवर्ती है। वह 1980 में अनतपुर जिले के कलेक्टर थे। तब बाबा के सेवाभाव से प्रभावित होकर वह उनके संपर्क में आए। तब से वह बाबा के भक्त बन गए। मुंबई में रहने वाले चार्टर्ड एकाउटेट इदुलाल शाह भी साई सेंट्रल ट्रस्ट के ट्रस्टी है। देश के भूतपूर्व चीफ जस्टिस पीएन भगवती और केंद्र के भूतपूर्व चीफ विजिलेंस कमिश्नर एमवी गिरि भी ट्रस्टी है। इस सस्था में सत्य साई बाबा का एक ही सबधी ट्रस्टी है, वह है उनके छोटे भाई जानकीरमैया का पुत्र आरजे रत्नाकर। बाबा के भतीजे आरजे रत्नाकर द्वारा एक टीवी चैनल साई दर्शन का सचालन किया जाता है। इसमें पूरे समय बाबा के सदेशों को दिखाया जाता है।
  • वर्ष 2010 सत्य साई यूनिवर्सिटी के दीक्षात समारोह में भाग लेने के लिए राष्ट्रपति प्रतिभा देवी पाटिल पहुंची थीं। तमिलनाड़ु के मुख्यमत्री करुणानिधि को लोग नास्तिक के रूप में जानते है, पर वह भी बाबा के भक्त है। बाबा के बारे में वह कहते है कि जो मनुष्यों की सेवा करते है, मेरे लिए वे ही भगवान है। बाबा के भक्तों में अटल बिहारी वाजपेयी, विलासराव देशमुख, सचिन तेंदुलकर, वीवीएस लक्ष्मण, रजनीकात, सुनील गावस्कर, क्लाइव लायड जैसी हस्तियां है। ये सभी समय-समय पर बाबा से भेंट करते रहते है।


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