सरोजनी प्रीतम

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सरोजनी प्रीतम हिन्दी साहित्य की आधुनिक महिला साहित्यकार और लेखक हैं। व्‍यंग्य से हिन्दी साहित्य जगत को समृद्ध करने वाली सरोजनी जी 'हंसिकाएँ' नाम की एक नई विधा की जन्मदात्री हैं। उन्हें नारी वेदना की सजीव अभिव्यक्ति के लिए विशेष तौर पर जाना जाता है। हिन्दी साहित्य की अध्येता रहीं सरोजनी प्रीतम ने पहली रचना महज मात्र 11 साल की उम्र में प्रकृति को कथ्य मानकर लिखी थी। उनके लेखन में गद्य एवं पद्य दोनों में समान अधिकार से व्यंग्य एवं वेदना व्यक्त हुई है। सरोजनी जी ने अपनी 'हंसिकाओं' से दुनिया भर के श्रोताओं को प्रभावित किया है। उनकी हंसिकाओं का अनुवाद नेपाली, गुजराती, सिंधी और पंजाबी सहित कई भारतीय भाषाओं में हो चुका है।

प्रमुख कृतियाँ

सरोजनी प्रीतम की प्रमुख कृतियाँ निम्नलिखित हैं-

  • 'आखिरी स्वयंवर'
  • 'बिके हुए लोग'
  • 'लाइन पर लाइन'
  • 'छक्केलाल'
  • 'डंक का डंक'
  • 'लेखक के सींग'

पुरस्कार व सम्मान

प्रीतम जी को 'वूमेन ऑफ़ द ईयर', 'दिनकर सम्मान', 'कामिल बुल्के अवार्ड', 'राजा राममोहन राय अवार्ड' समेत कई पुरस्कारों से भी सम्मानित किया जा चुका है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

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