"साँचा:विशेष आलेख" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
पंक्ति 6: पंक्ति 6:
 
|-
 
|-
 
{{मुखपृष्ठ-{{CURRENTHOUR}}}}
 
{{मुखपृष्ठ-{{CURRENTHOUR}}}}
<div style="padding:3px">[[चित्र:Alam-Ara-Poster.jpg|right|120px|link=आलम आरा|border]]</div>
+
<div style="padding:3px">[[चित्र:Raskhan-2.jpg|रसखान के दोहे|right|120px|link=रसखान|border]]</div>
 
<poem>
 
<poem>
         '''[[आलम आरा]]''' [[भारत]] की पहली बोलती फ़िल्म है जिसका निर्देशन 'अर्देशिर ईरानी' ने किया था। आलम आरा का प्रदर्शन [[14 मार्च]] [[1931]] को हुआ था। फ़िल्म के नायक की भूमिका मास्टर विट्ठल और नायिका की भूमिका ज़ुबैदा ने निभाई थी। फ़िल्म में [[पृथ्वीराज कपूर]] की भी एक महत्त्वपूर्ण भूमिका थी। राजकुमार और बंजारिन की प्रेम कहानी पर आधारित यह फ़िल्म एक पारसी नाटक से प्रेरित थी। इसकी लंबाई 2 घंटे 4 मिनट की थी। भारत में कहीं भी अब इस फ़िल्म का कोई प्रिंट नहीं बचा है। आलम आरा का अकेला प्रिंट [[2003]] में [[पुणे]] के नेशनल फ़िल्म आर्काइव में लगी आग में भस्म हो गया। [[आलम आरा|... और पढ़ें]]
+
         '''[[रसखान|सैय्यद इब्राहीम 'रसखान']]''' का [[हिन्दी साहित्य]] में [[कृष्ण]] भक्त तथा [[रीतिकाल|रीतिकालीन]] कवियों में महत्त्वपूर्ण स्थान है। रसखान को 'रस की ख़ान' कहा जाता है। इनके [[काव्य]] में भक्ति, [[श्रृंगार रस]] दोनों प्रधानता से मिलते हैं। उन्होंने अपने काव्य की सीमित परिधि में इन असीमित लीलाओं का बहुत सूक्ष्म वर्णन किया है। [[भारतेन्दु हरिश्चन्द्र]] ने जिन [[मुस्लिम]] हरिभक्तों के लिये कहा था, '''इन मुसलमान हरिजनन पर कोटिन हिन्दू वारिए''' उनमें "रसखान" का नाम सर्वोपरि है। रसखान की कविताओं के दो संग्रह प्रकाशित हुए हैं- 'सुजान रसखान' और 'प्रेमवाटिका'। 'सुजान रसखान' में 139 सवैये और कवित्त है। 'प्रेमवाटिका' में 52 दोहे हैं, जिनमें प्रेम का बड़ा अनूठा निरूपण किया गया है। [[रसखान|... और पढ़ें]]
 
</poem>
 
</poem>
 
----
 
----
पंक्ति 15: पंक्ति 15:
 
|-
 
|-
 
| [[चयनित लेख|पिछले विशेष आलेख]] →
 
| [[चयनित लेख|पिछले विशेष आलेख]] →
 +
| [[आलम आरा]] ·
 
| [[दीपावली]] ·
 
| [[दीपावली]] ·
 
| [[विजय दशमी]] ·
 
| [[विजय दशमी]] ·
 
| [[श्राद्ध]] ·
 
| [[श्राद्ध]] ·
| [[हिंदी]] ·
+
| [[हिंदी]]  
| [[स्वतंत्रता दिवस]]  
 
 
|}</center>
 
|}</center>
 
|}<noinclude>[[Category:विशेष आलेख के साँचे]]</noinclude>
 
|}<noinclude>[[Category:विशेष आलेख के साँचे]]</noinclude>

14:37, 13 दिसम्बर 2013 का अवतरण

एक आलेख
रसखान के दोहे

        सैय्यद इब्राहीम 'रसखान' का हिन्दी साहित्य में कृष्ण भक्त तथा रीतिकालीन कवियों में महत्त्वपूर्ण स्थान है। रसखान को 'रस की ख़ान' कहा जाता है। इनके काव्य में भक्ति, श्रृंगार रस दोनों प्रधानता से मिलते हैं। उन्होंने अपने काव्य की सीमित परिधि में इन असीमित लीलाओं का बहुत सूक्ष्म वर्णन किया है। भारतेन्दु हरिश्चन्द्र ने जिन मुस्लिम हरिभक्तों के लिये कहा था, इन मुसलमान हरिजनन पर कोटिन हिन्दू वारिए उनमें "रसखान" का नाम सर्वोपरि है। रसखान की कविताओं के दो संग्रह प्रकाशित हुए हैं- 'सुजान रसखान' और 'प्रेमवाटिका'। 'सुजान रसखान' में 139 सवैये और कवित्त है। 'प्रेमवाटिका' में 52 दोहे हैं, जिनमें प्रेम का बड़ा अनूठा निरूपण किया गया है। ... और पढ़ें


पिछले विशेष आलेख आलम आरा · दीपावली · विजय दशमी · श्राद्ध · हिंदी