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'''सिद्धसेन द्वितीय / Siddhasen 2nd'''
 
  
 
*इनका समय 9वीं शती माना जाता है।  
 
*इनका समय 9वीं शती माना जाता है।  

10:59, 16 मई 2010 का अवतरण

  • इनका समय 9वीं शती माना जाता है।
  • इन्होंने न्यायशास्त्र का एकमात्र 'न्यायावतार' ग्रन्थ लिखा है, जिसमें जैन न्यायविद्या का 32 कारिकाओं में सांगोपांग निरूपण किया है।
  • इनकी रची कुछ द्वात्रिंशतिकाएँ भी हैं जिनमें तीर्थंकर की स्तुति के बहाने जैन दर्शन और जैन न्याय का भी दिग्दर्शन किया गया है।