सुनील लहरी

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सुनील लहरी
सुनील लहरी
पूरा नाम सुनील लहरी
जन्म 9 जनवरी, 1961
जन्म भूमि दमोह, मध्य प्रदेश
अभिभावक पिता- डॉ. शिखर चंद्र लहरी
कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र अभिनय
प्रसिद्धि सीरियल रामायण के लक्ष्मण
नागरिकता भारतीय
संबंधित लेख रामायण, अरुण गोविल, दीपिका चिखालिया, दारा सिंह, रामानन्द सागर
मुख्य सीरियल 'रामायण', 'दादा-दादी की कहानियाँ', 'विक्रम और बेताल' आदि।
अन्य जानकारी सुनील लहरी ने 1983 में फिल्मी दुनिया में अपने कॅरियर की शुरुआत की। उनकी पहली फिल्म नक्सलवाद के ऊपर थी। उसके बाद उन्हें मौका मिला 'बरसात' फिल्म में।
अद्यतन‎

सुनील लहरी या सुनील लाहिरी (अंग्रेज़ी: Sunil Lahri or Sunil Lahiri, जन्म- 9 जनवरी, 1961, दमोह, मध्य प्रदेश) भारतीय अभिनेता हैं। वह रामानन्द सागर के ख्यातिप्राप्त टेलीविज़न धारावाहिक 'रामायण' में लक्ष्मण की भूमिका के लिए जाने जाते हैं। इससे पहले वह सीरियल 'विक्रम और बेताल' एवं 'दादा-दादी की कहानियाँ' में भी काम कर चुके थे। 90 के दशक में आए लोकप्रिय सीरियल रामायण में राम (अरुण गोविल)-सीता (दीपिका चिखालिया) के साथ लक्ष्मण (सुनील लहरी) ने दमदार भूमिकाएँ निभाई थीं। इन कलाकारों की भूमिकाओं को दर्शक आज तक भुला नहीं पाये हैं। रामायण में सुनील लहरी ने अपने किरदार को इतनी बखूबी से निभाया कि उनमें दर्शक भगवान लक्ष्मण की छवि देखने लगे थे। 1990 में सुनील लहरी ने धारावाहिक 'परमवीर चक्र' में भी अभिनय किया। पहले 'विक्रम और बेताल' और फिर 'दादा-दादी की कहानियों' में सुनील लहरी के दमदार अभिनय को देखकर ही रामानन्द सागर ने उन्हें रामायण में लक्ष्मण के किरदार के लिए चुना था।

परिचय

सुनील लहरी का जन्म 9 जनवरी, 1961 को भारत के मध्य प्रदेश के दमोह में हुआ था। उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से अभिनय करके सफलता प्राप्त की। सुनील लहरी बचपन से ही शिक्षा में रुचि रखते थे। उनको पढ़ना-लिखना बहुत अच्छा लगता है, जिसके लिए वह निरंतर पढ़ाई के क्षेत्र में मेहनत करते रहते थे। सुनील लहरी ने शिक्षा के क्षेत्र में अपनी प्रारंभिक शिक्षा भोपाल के स्कूल से प्राप्त की थी। जब वह स्कूल पढ़ने के लिए जाते थे, तब वह स्कूल के सांस्कृतिक कार्यक्रमों में हिस्सा लिया करते थे, वहां पर छोटे-छोटे अभिनय किया करते थे। जब उन्होंने भोपाल के स्कूल से अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी कर ली, तब ग्रेजुएशन करने के लिए मुंबई चले गए और मुंबई के एक कॉलेज से बैचलर ऑफ़ आर्ट में पढ़ाई की।

अभिनय की शुरुआत

सुनील लहरी और अरुण गोविल

सुनील लहरी ने 1983 में फिल्मी दुनिया में अपने कॅरियर की शुरुआत की, जिसके बाद उन्होंने कभी भी अपने कॅरियर में पीछे मुड़कर नहीं देखा। उनकी पहली फिल्म नक्सलवाद के ऊपर थी। उसके बाद उन्हें मौका मिला 'बरसात' फिल्म में। इस फिल्म में भी सुनील लहरी ने उम्दा अभिनय का प्रदर्शन किया।

सुनील लहरी जब 1986 में अपने अभिनय को सफलता की ओर ले जाना चाहते थे, तब उनको दूरदर्शन पर काम करने का मौका मिला। उन्होंने उस मौके को अपने हाथों से नहीं जाने दिया।

रामायण के 'लक्ष्मण'

सुनील लहरी 1986 में दूरदर्शन के लिए प्ले करने लगे थे। सीरियल 'रामायण' में अपना जोरदार अभिनय करने से पहले उन्होंने पहले 'विक्रम और बेताल' में और फिर 'दादा-दादी की कहानियों' में अभिनय किया।

लक्ष्मण के रूप में सुनील लहरी

उनका दमदार अभिनय देखकर ही रामानन्द सागर ने रामायण में लक्ष्मण के किरदार के लिए चुना। जब वह ऑडिशन देने पहुंचे थे, तब लक्ष्मण के रोल के लिए करीब 150 लोग आए थे। जब उनको रामायण में लक्ष्मण का रोल दिया गया था, तब उन्होंने इस धारावाहिक सीरियल में अपने बेहतरीन अभिनय से जान फूँक दी।


सीरियल रामायण में लक्ष्मण के लिए वह चुने गए। इस बारे में सुनील लहरी का कहना था कि- "मैं भी अरुण जी और दीपिका जी की तरह 'विक्रम बेताल' और 'दादा दादी की कहानियां' टीवी शो में काम कर चुका था। मुझे रामायण के बारे में बताया गया और कहा गया कि ऑडीशन दे दो। मैं इस शो को लेकर खास दिलचस्पी नहीं रखता था, लेकिन लोगों ने कहा तो मैंने ऑडीशन दे दिया। सीरियल रामायण में मैं शत्रुघ्न की भूमिका के लिए चुना गया था। लक्ष्मण का किरदार मुझे नहीं मिला था। लक्ष्मण के लिए शशि पुरी को फाइनल किया गया था। न जाने क्या हुआ कि शशि पुरी ने वह रोल करने से मना कर दिया। मैंने एक जगह से रोड क्रॉस किया तो सागर साहब वहां से निकले। उन्होंने गाड़ी रोकी और पूछा कि क्या कर रहा है? मैंने कहा शूटिंग चल रही है। उन्होंने मुझसे ऑफिस चलने को कहा और मैंने कहा कि शूट कर रहा हूं फिर आता हूं। मैं बाद में जाना भूल गया। उन दिनों मोबाइल फोन नहीं होते थे तो लोग लैंडलाइन चलाते थे। मेरे पास लैंडलाइन भी नहीं था तो सागर साहब ने किसी को भेज कर मुझे बुलवाया।"[1]

रामानन्द सागर ने सुनील लहरी से कहा कि- "तुम लक्ष्मण का किरदार निभाओ।" इस पर सुनील लहरी ने कहा कि- "वह तो कोई और कर रहा है ना? उन्होंने कहा कि मैं चाहता हूं कि तुम लक्ष्मण प्ले करो। मैंने बाहर आकर शशि पुरी को फोन किया और कहा कि देखो वह लोग मुझे लक्ष्मण का किरदार ऑफर कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि देखो मैं तो वह किरदार करने वाला हूं नहीं। इससे पहले कि वह किसी और को फाइनल करें बेहतर ये है कि तुम उसे ओके कर दो। तब मैंने इस रोल के लिए हां कहा और बाकी जो है वह इतिहास है।"

अभिनय से दूरी

सीरियल रामायण के राम, अरुण गोविल की तरह ही सुनील लहरी ने भी लक्ष्मण की छवि से बाहर निकलने की काफी कोशिश की, लेकिन अफसोस कि वह लक्ष्मण की छवि से कभी बाहर नहीं निकल पाए। भले ही ‘रामायण’ को लगभग तीन दशक से ऊपर का समय व्यतीत हो गया हो, पर सुनील लहरी जहाँ कहीं भी जाते हैं, वह आज भी लक्ष्मण के रूप में पूजे जाते हैं। अब सुनील लहरी का अपना प्रोडक्शन हाउस है। अब वह अभिनय से दूर हैं।

पिता के शरीर का दान

सुनील लहरी साल 2012 में खूब चर्चा में रहे। कारण था कि उन्होंने अपने पिता डॉ. शिखर चंद्र लहरी की मृत्यु के बाद उनके शरीर को भोपाल के एक मेडिकल कॉलेज को दान कर दिया था। यह सुनील लहरी के पिता शिखर चंद्र लहरी की ही ख्वाहिश थी। दरअसल डॉ. शिखर चंद्र लहरी अपनी विल में ये साफ लिखकर गए थे कि उनका शरीर मेडिकल स्टूडेंट्स को दान कर दिया जाए ताकि वह इस पर अपनी स्टडी पूरी कर सकें। सुनील लहरी ने बताया कि- "उन्होंने 10 साल पहले ये इच्छा जाहिर की थी। इसलिए जब वह खत्म हुए तो मैंने उनकी आखिरी ख्वाहिश पूरी की। मेरे पिता मेडिकल फील्ड से थे और एक प्रोफेसर थे। ऐसे में उन्हें इस बात की जानकारी थी कि स्टूडेंट्स को डेड बॉडी की कमी के चलते कितनी परेशानियां झेलनी पड़ती हैं।"[2]

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शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. लक्ष्मण को पहले मिला था शत्रुघ्न का रोल (हिंदी) aajtak.intoday.in। अभिगमन तिथि: 29 मार्च, 2020।
  2. रामायण के लक्ष्मण का 33 साल में इतना बदल गया अंदाज (हिंदी) timesnowhindi.com। अभिगमन तिथि: 29 मार्च, 2020।

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