अंग-अंग खिल जाना
अर्थ- अंग-अंग खिल उठना।
प्रयोग- वह मनोभावों को छिपाना चाहती थी कि रमा उसे ओछी न समझे, लेकिन (उसका) एक-एक अंग खिला जाता था। (प्रेमचंद)
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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