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अन्य (विशेषण) [नपुल्लिंग-अन्यत्]

1. दूसरा, भिन्न, और; सामान्यतः दूसरा
2. अपेक्षाकृत दूसरा, से भिन्न, की अपेक्षा
3. अनोखा, असाधारण, विशेष-अन्या जगद्धितमयी मनसः प्रवृत्तिः-धन्या मृदन्यैव सा-सा. द.
4. तुच्छ, कोई
5. अतिरिक्त, नया, अधिक, अन्यच्च-इसके अतिरिक्त, इसके साथ ही, तो फिर (वाक्यों का संयुक्त करने वाला; एक अन्य एक दूसरा-मेघ. 78, दे., एक के नीचे भी अन्य अन्य और और, अन्य-अन्य-अन्य आदि, पहला, दूसरा, तीसरा चौथा आदि।


सम.-असाधारण (अन्यासाधारण) (विशेषण) जो दूसरों के प्रति सामान्य न हो, विशेष-उक्ति (अन्योक्ति) (स्त्री.) ऐसी उक्ति जो कथित वस्तु के अतिरिक्त औरों पर भी घटित हो सके।-उदर्य (अन्योदर्य) (विशेषण) दूसरे से उत्पन्न (-र्यः) सौतेली माता का पुत्र, अर्धभ्राता (-या) अर्ध-भगिनी, -ऊदा (अन्योढा) (विशेषण) दूसरे से विवाहित, दूसरे की पत्नी,-क्षेत्रम् (नपुल्लिंग)

1. दूसरा खेत
2. दूसरा देश या विदेश
3. दूसरे की पत्नी,-ग,-गामिन् (विशेषण) 1. और के पास जाने वाला, 2. व्यभिचारी, लम्पट,-गोत्र (विशेषण) दूसरे कुल का वंश का,-चित्त (विशेषण) किसी और पदार्थ पर ध्यान लगाने वाला, दे. मनस्,-ज,-जात (विशेषण) भिन्न कुल में उत्पन्न,-जन्मन् (नपुल्लिंग) दूसरा जीवन, पुनर्जन्म, आवागमन,-दुर्वह (विशेषण) जो दूसरे को सहन न कर सके-देवत,-दैवत्य (विशेषण) दूसरे किसी देवता को संबोधित करने वाला या मंत्र द्वारा उल्लेख करने वाला,-नाभि (विशेषण) किसी दूसरे कुल से संबंध रखने वाला,-पदार्थः (पुल्लिंग) 1. दूसरी वस्तु 2. दूसरे शब्द का भाव-पर (विशेषण) 1. दूसरों का भक्त 2. किसी दूसरे का उल्लेख करने वाला-पुष्टः (पुल्लिंग)-ष्टा (स्त्री.)-भृतः-ता दूसरे से पाला हुआ या पाली हुई, कोयल की उपाधि, जो कि कौवे के द्वारा पाली हुई समझी जाती है अत एव 'अन्यभृत्' कहलाती है-कलमन्यभृता-पूर्वा (स्त्री.) 1. वह स्त्री जिसका वाग्दान किसी और के साथ हो चुका है 2. पुनर्विवाहित विधवा,-बीजः,-बीजसमुद्भवः,-समुत्पन्नः (पुल्लिंग) गोद लिया हुआ पुत्र (दूसरे माता पिताओं से उत्पन्न), वह जो कि औरस पुत्र के अभाव में गोद लिया जा सके,-भृत् (पुल्लिंग) कौवा (दूसरों को पालने वाला),-मनस्,-मनस्क-मानस (विशेषण) 1. अवधानहीन 2. चंचल, अस्थिर,-मातृजः अर्धभ्राता (दूसरी मां से उत्पन्न),-रूप (विशेषण) परिवर्तित या बदले हुए रूप वाला,-लिंग, (विशेषण) दूसरे शब्द के लिंग वाला अर्थात् नामशब्द, विशेषण,-वापः (स्त्री.) कोयल,-विवर्धित (विशेषण)=पुष्ट कोयल,-संक्रान्त (विशेषण) जिसने दूसरी स्त्री से संबंध स्थापित कर लिया है।-संगमः (पुल्लिंग) दूसरी स्त्री से रति क्रिया, अवैध मैथुन,-संभूयक्रय (पुल्लिंग) पहले लगाए मूल्य पर थोक माल न बिकने पर उस पर निर्धारित किया गया दूसरा मूल्य-संभोग दुःखित (स्त्री.) वह स्त्री नायिका जो अपने पति में दूसरी स्त्री से संभोग करने के चिह्नों को देखकर दुःखी हो।-साधारण (विशेषण) बहुतों के लिए सामान्य,-स्त्री दूसरे की पत्नी, जो अपनी पत्नी न हो (साहित्य शास्त्र में यह तीन मुख्य नायिकाओं-स्वीया, अन्या, साधारणी- में से एक है, 'अन्या' या तो किसी दूसरे की पत्नी होती है अथवा अविवाहित कन्या जो युवती तथा लज्जाशील होती है, दूसरे की पत्नी आमोद-प्रमोद तथा उत्सवों के लिए उत्सुक रहती है तथा अपने कुल के लिए कलंक एवं नितान्त निर्लज्ज होती है-सा. द व्यभिचारी।[1]


इन्हें भी देखें: संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेताक्षर सूची), संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेत सूची) एवं संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश |लेखक: वामन शिवराम आप्टे |प्रकाशक: कमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002 |पृष्ठ संख्या: 57 |

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