अपनी जान की पड़ना
अर्थ- आत्मरक्षा की फ़िक्र लगना, बच निकलने की सोचने लगना।
प्रयोग- कितनों को तो अपने आराम की ही नहीं, अपनी जान की भी पड़ गई। (राजा राम रमणप्रताप सिंह)
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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