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उमापति शिवाचार्य

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उमापति शिवाचार्य (1290-1320 ई. के लगभग विद्यमान) शैव शास्त्र के मर्मज्ञ आचार्य। ये अपने समय के संस्कृत तथा तमिल लेखकों में सर्वप्रख्यात थे। शैव सिद्धांत पर इनके आठ ग्रंथ उपलब्ध हैं जिनमें से एक का रचनाकाल 1313 ई. दिया हुआ है। इसके अतिरिक्त इन्होंने 'पौष्कर संहिता' पर एक अत्यंत पांडित्यपूर्ण ढंग से प्रतिपादन किया है कि शिव ही एकमात्र ऐसे देवता हैं जिनकी पूजा सबको करनी चाहिए। उमापति शिवाचार्य कृत 'कोईर पुराणम्‌' नामक एक ओर भी ग्रंथ मिलता है जिसमें प्रसिद्ध शैव तीर्थ चिदंबरम्‌ से संबंधित निजंधरी आख्यानों का संग्रह है।[1]



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 2 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 130 |

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