अनोमा नदी

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अनोमा नदी बौद्ध साहित्य में वर्णित एक प्रसिद्ध नदी है। बुद्ध की जीवन-कथाओं में वर्णित है कि सिद्धार्थ ने कपिलवस्तु को छोड़ने के पश्चात् इस नदी को अपने घोड़े 'कंथक' पर पार किया था और यहीं से अपने परिचारक छंदक को विदा कर दिया था। इस स्थान पर उन्होंने राजसी वस्त्र उतार कर अपने केशों को काट कर फेंक दिया था।

(लगभग 9.6 कि.मी.)दक्षिण की ओर जो कुदवा नाम का एक छोटा-सा नाला बहता है, वही प्राचीन अनोमा है और क्योंकि सिद्धार्थ के घोड़े ने यह नदी कूद कर पार की थी, इसलिए कालांतर में इसका नाम 'कुदवा' हो गया।

  • कुदवा से एक मील दक्षिण-पूर्व की ओर एक मील लम्बे चौड़े क्षेत्र में खण्डहर हैं, जहाँ तामेश्वरनाथ का वर्तमान मंदिर है।
  • युवानच्वांग के वर्णन के अनुसार इस स्थान के निकट अशोक के तीन स्तूप थे, जिनसे बुद्ध के जीवन की इस स्थान पर घटने वाली उपर्युक्त घटनाओं का बोध होता था।
  • इन स्तूपों के अवशेष शायद तामेश्वरनाथ मंदिर के तीन मील उत्तर पश्चिम की ओर बसे हुए 'महायानडीह' नामक ग्राम के आस-पास तीन ढूँहों के रूप में आज भी देखे जा सकते हैं।
  • यह ढूह मगहर स्टेशन से दो मील दक्षिण-पश्चिम में हैं। श्री बी. सी. लॉ के मत में गोरखपुर ज़िला की 'ओमी नदी' ही प्राचीन अनोमा है।



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  • ऐतिहासिक स्थानावली | पृष्ठ संख्या= 23-24| विजयेन्द्र कुमार माथुर | वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार


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