कंजावलि

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कंजावलि - संज्ञा स्त्रीलिंग (संस्कृत)[1]

एक वर्णवृत्त जिसके प्रत्येक चरण में भगण, नगण और दो जगण और एक लघु (भ न ज ज ल) होता है। इसे 'पंकजवाटिका' और 'एकावली' भी कहते हैं।

उदाहरण-

भानुज जल महँ भाय परै जब। कंजअवलि विकसै सर में तब। त्यों रघुबर पुर आय गए जब। नारिरु नर प्रमुदे लखिके सब।[2]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिंदी शब्दसागर, द्वितीय भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी. ए. |प्रकाशक: नागरी मुद्रण, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 720 |
  2. शब्द.

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