कहरानामा -जायसी

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कहरानामा का रचना काल 947 हिजरी बताया गया है।

  • यह काव्य ग्रंथ 'कहरवा' या 'कहार गीत' उत्तर प्रदेश की एक लोक - गीत पर आधारित है। कहरानामा में कवि ने संसार से डोली जाने की बात की है।

या भिनुसारा चलै कहारा होतहि पाछिल पहारे। सबद सुनावा सखियन्ह माना, हंस के बोला मारा रे।।

  • जायसी ने हिन्दी में 'कहारा लोक धुन' के आधार पर इस ग्रंथ की रचना करके स्वयं को गाँव के लोक जीवन एवं सामाजिक सौहार्द बनाने का प्रयत्न किया है।
  • कहरानामा में कहरा का अर्थ कहर, कष्ट, दु:ख या कहा और गीत विशेष है। हमारे देश भारत में ब्रह्मा का गुणगान करना, आत्मा और परमात्मा के प्रेम परक गीत गाना की अत्यंत प्राचीन लोक परंपरा है।[1]
  • इनके अतिरिक्त 'महरी बाईसी' तथा 'मसलानामा' भी आपकी ही रचनाएँ मानी जाती हैं परन्तु जायसी की प्रसिद्धि का आधार तो 'पद्मावत' महाकाव्य ही है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. कविता कोश (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल)। । अभिगमन तिथि: 16 अक्टूबर, 2010

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