कुलाधर चालिहा
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अध्यक्ष
एक वर्ष की सज़ा पूरी करने के बाद जेल से छूटने पर वे असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रथम अध्यक्ष चुने गए। 1923 में असम लेजिस्लेटिव कौंसिल के सदस्य निर्वाचित हुए थे, पर बाद में कांग्रेस के निश्चयानुसार उन्होंने इस सदस्यता को त्याग दिया। 1925 में चालिहा अफीम निषेध समिति के अध्यक्ष बने और उन्होंने यूरोप जाकर इस विषय में राष्ट्र संघ में भी एक प्रतिवेदन प्रस्तुत किया।
केन्द्रीय असेम्बली के सदस्य
1936 में कुलाधर चालिहा निर्विरोध केन्द्रीय असेम्बली के सदस्य बने और 1946 में उनका संविधान सभा के लिए भी निर्वाचन हुआ। वे जाति-पाति और अस्पृश्यता के प्रबल विरोधी थे। शिक्षा के प्रसार और महिलाओं को समान अवसर देने का उन्होंने सदा समर्थन किया। योग्य संसदविद के रूप में उनकी ख्याति थी। 1963 ई. में चालिहा का देहान्त हो गया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- पुस्तक ‘भारतीय चरित कोश’ पृष्ठ संख्या-171 से