कोसी नदी

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कोसी नदी
Kosi River
Disamb2.jpg कोसी एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- कोसी (बहुविकल्पी)

कोसी नदी गंगा की सहायक नदी है, जो नेपाल के पहाड़ों से निकल कर नेपाल और बिहार में बहती हुई राजमहल (बिहार) के निकट गंगा में मिल जाती है। इसे बिहार का शोक भी कहा जाता है।

यह नदी नेपाल और उत्तरी भारत में बहती है। यह नदी अपनी सहायक नदियों के साथ कोसी नेपाल के पूर्वी तीसरे हिस्से व तिब्बत के कुछ हिस्से को अपवाहित करती है, जिसमें माउंट एवरेस्ट के आसपास का क्षेत्र शामिल हैं। इसकी कुछ प्रारंभिक धाराएँ नेपाल की सीमा के पार तिब्बत से निकलती है। भारत-नेपाल सीमा से लगभग 48 किमी उत्तर में कोसी में कई प्रमुख सहायक नदियाँ मिलती हैं और यह संकरे छत्र महाखड्ड से शिवालिक की पहाड़ियों से होते हुए दक्षिण दिशा में मुड़ जाती है। इसके बाद कोसी नदी उत्तर भारत के विशाल मैदान में बिहार में अवतरित होकर गंगा नदी की ओर बढ़ती है, जहाँ यह लगभग 724 किमी की यात्रा के बाद पूर्णिया के दक्षिण में गंगा से मिलती है। लगातार भारी मात्रा में मलबा बहाकर जमा करते रहने के कारण उत्तरी भारत के विशाल मैदान में कोसी की अपनी कोई स्थायी धारा नहीं है।

सप्तकोसी

कोसी नदी हिमालय पर्वतमाला में प्रायः 7000 मीटर की ऊँचाई से अपनी यात्रा शुरू करती है जिसका ऊपरी जलग्रहण क्षेत्र नेपाल तथा तिब्बत में पड़ता है। दुनिया का सबसे ऊँचा शिखर माउंट एवरेस्ट तथा कंचनजंघा जैसी पर्वतमालाएं कोसी के जलग्रहण क्षेत्र में आती हैं। नेपाल में इसे सप्तकोसी के नाम से जानते हैं जो कि सात नदियों इन्द्रावती, सुनकोसी या भोट कोसी, तांबा कोसी, लिक्षु कोसी, दूध कोसी, अरुण कोसी और तामर कोसी के सम्मिलित प्रवाह से निर्मित होती है। इनमें पहली पाँच नदियों के संयोग से सुनकोसी का निर्माण होता है और यह पश्चिम से पूर्व की ओर बहती है। यह नदियाँ गौरी शंकर शिखर तथा मकालू पर्वतमाला से होकर आती हैं। छठी धारा अरुण कोसी की है जिसके जलग्रहण क्षेत्र में सागर माथा (माउन्ट एवरेस्ट) अवस्थित है। सातवीं धारा पूरब से पश्चिम की ओर बहने वाली तामर कोसी है जो कि कंचनजंघा पर्वतमाला से पानी लाती है। इस तरह सुनकोसी, अरुण कोसी तथा तामर कोसी नेपाल के धनकुट्टा जिले में त्रिवेणी नाम के स्थान पर आकर मिल जाती हैं और यहीं से इसका नाम सप्तकोसी, महाकोसी या कोसी हो जाता है। त्रिवेणी पहाड़ों के बीच स्थित है और यह स्थान चतरा से, जहाँ कोसी मैदान में प्रवेश करती है, प्रायः दस किलोमीटर उत्तर में पड़ता है।[1]

कोसी का रुख़

कोसी नदी की अपनी कोई स्थायी धारा नहीं थी क्योंकि तटबंध बनाकर नदी की धारा को नियंत्रित दिशा दी गई। कोसी नदी की धारा बदल दी गई इसलिए बिहार में प्रलयंकारी बाढ़ कि स्थिति पैदा हुई है। बिहार में बाढ़ के कारण स्थिति गंभीर बनी हुई है। दरअसल इतने बड़े पैमाने पर आई बाढ़ की वजह है कोसी नदी का अपना रास्ता बदलना।

तटबंध का इतिहास

  • ब्रिटिश सरकार ने तटबंध नहीं बनाने का फ़ैसला इसलिए किया था क्योंकि अगर तटबंध टूटेगा तो क्षति होगी और उसकी भरपाई करना ज़्यादा मुश्किल साबित होगा।
  • लेकिन आज़ादी के बाद भारत सरकार ने नेपाल के साथ समझौता कर के 1954 में तटबंध बनाने का फ़ैसला किया।
  • तटबंध बनाकर नदी की धारा को नियंत्रित दिशा दी गई।

तटबंध का महत्त्व

  • छत्र महाखड्ड के आर-पार बरका क्षेत्र में स्थित बाँध बाढ़ पर नियंत्रण रखता है।
  • बाढ़ के मैदानों में सिंचाई की सुविधा प्रदान करता है।
  • पनबिजली उपलब्ध कराता है ।
  • मछली पालन केंद्रों को आधार प्रदान करता है।
  • कोसी बेसिन की बलुआ मिट्टी में व्यापक पैमाने पर मक्का की खेती की जाती है।
  • लंबे समय से कोसी नदी अपनी विनाशकारी बाढ़ों के लिए कुख्यात रही है, क्योंकि इसका पानी चौबीस घंटो में नौ मीटर तक बढ़ जाता है। उत्तरी बिहार के विशाल क्षेत्र तक निवास या कृषि के लिए असुरक्षित हो जाते हैं पर तटबंध की मद्द से इसे बचाया गया है।

तटबंध की क्षमता

तटबंध बनाते समय अभियंताओं ने अनुमान किया था कि यह नौ लाख घन फ़ुट प्रति सेकेंड (क्यूसेक) पानी के बहाव को बर्दाश्त कर सकेगा और तटबंध की आयु 25 वर्ष आँकी गई थी ।

तटबंध से होती क्षति

कोसी पर बना तटबंध 7 बार टूट चुका है और इस बाढ़ से काफ़ी तबाही भी हुई है। तटबंध टूटने का एक बड़ा कारण कोसी नदी की तलहटी में तेज़ी से गाद जमना है। इसके कारण जलस्तर बढ़ता है और तटबंध पर दबाव पड़ता है।

वर्ष स्थान बहाव
1963 डलबा (नेपाल) 13 हज़ार क्यूसेक
1968 जमालपुर (भारत) 9 लाख 13 हज़ार क्यूसेक
1991 जोगनिया (नेपाल)
2008 कुशहा (नेपाल) 1 लाख 44 हज़ार क्यूसेक


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. कोसी नदी (हिंदी) इंडिया वाटर पोर्टल। अभिगमन तिथि: 31 अगस्त, 2017।

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