खोण्ड डोरा विद्रोह

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  • खोण्ड डोरा विद्रोह की शुरुआत 1900 ई. में हुई थी।
  • आदिवासी विद्रोह के द्वितीय चरण में जादू-टोने के दैवीय शक्तियों से युक्त होने का दावा करने वाले अनेक दैवीय नेताओं का उदय हुआ।
  • इन नेताओं ने 1900 ई. में विशाखापट्टनम में अंग्रेज़ों के विरुद्ध विद्रोह किया।
  • विद्रोह के नेता 'कोर्रामल्लया' ने इस विद्रोह का नेतृत्व करते हुये अपने को पाण्डवों का अवतार होने का दावा किया।
  • कोर्रामल्लया ने अपने एक अबोध बेटे का कृष्ण का अवतार बताया।
  • उसने यह आश्वासन भी दिलाया कि, वह आदिवासियों के बांसों को बन्दूक़ों में और सरकारी हथियारों को पानी में परिवर्तित कर देगा।
  • इस विद्रोह का प्रमुख उद्देश्य अंग्रेज़ों को भारत से निष्कासित कर अपना शासन स्थापित करना था।
  • इस विद्रोह के परिणामस्वरूप 10 आदिवासी विद्रोही अंग्रेज़ों की गोली का निशाना बने और दो को फाँसी हुई।
  • कम्पनी सरकार ने अंत में विद्रोह का दमन कर दिया गया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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