गले में चक्की का पात बाँधना
अर्थ- इतना बड़ा दायित्व सौंपना, जिसका निर्वाह संभव न हो।
प्रयोग- तब इन्हें मालूम हुआ की पंडित सादिराम ने अपनी बेपरवाही से अपने बड़े लड़के के गले में कितना बड़ा चक्की का पात बाँध दिया है। ...(उपेन्द्रनाथ अश्क)
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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