गीता 1:23

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गीता अध्याय-1 श्लोक-23 / Gita Chapter-1 Verse-23

प्रसंग-


अर्जुन[1] के इस प्रकार कहने पर भगवान् ने क्या किया ? अब दो श्लोकों में संजय[2] उसका वर्णन करते हैं-


योत्स्यमानानवेक्षेऽहं य एतेऽत्र समागता: ।
धार्तराष्ट्रस्य दुर्बुद्धेर्युद्धे प्रियचिकीर्षव: ।।23।।



दुर्बुद्धि दुर्योधन[3] का युद्ध में हित चाहने वाले जो-जो ये राजा लोग इस सेना में आये हैं, इन युद्ध करने वालों को मैं देखूँगा ।।23।।

I shall scan the well- wishers in this war of evil-minded Duryodhana, whoever have assembled on this side and are ready for the fight. (23)


दुर्बुद्वे: = दुर्बद्वि; धार्तराष्ट्रस्य = दुर्योधन का; युद्वे = युद्व में; प्रियचिकीर्षव: = कल्याण चाहने वाले; ये = जो जो; एते = ये राजालोग; अत्र =इस सेना में; समागता: = आये हैं; (तान्) = उन; योत्स्यमानान् = युद्व करने वालों को; अहम् = मैं; अवेक्षे =देखूँगा



अध्याय एक श्लोक संख्या
Verses- Chapter-1

1 | 2 | 3 | 4, 5, 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17, 18 | 19 | 20, 21 | 22 | 23 | 24, 25 | 26 | 27 | 28, 29 | 30 | 31 | 32 | 33, 34 | 35 | 36 | 37 | 38, 39 | 40 | 41 | 42 | 43 | 44 | 45 | 46 | 47

अध्याय / Chapter:
एक (1) | दो (2) | तीन (3) | चार (4) | पाँच (5) | छ: (6) | सात (7) | आठ (8) | नौ (9) | दस (10) | ग्यारह (11) | बारह (12) | तेरह (13) | चौदह (14) | पन्द्रह (15) | सोलह (16) | सत्रह (17) | अठारह (18)

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. महाभारत के मुख्य पात्र है। पाण्डु एवं कुन्ती के वह तीसरे पुत्र थे। अर्जुन सबसे अच्छा धनुर्धर था। वह द्रोणाचार्य का सबसे प्रिय शिष्य था। द्रौपदी को स्वयंवर में जीतने वाला भी वही था।
  2. संजय धृतराष्ट्र की राजसभा का सम्मानित सदस्य था। जाति से वह बुनकर था। वह विनम्र और धार्मिक स्वभाव का था और स्पष्टवादिता के लिए प्रसिद्ध था। वह राजा को समय-समय पर सलाह देता रहता था।
  3. धृतराष्ट्र-गांधारी के सौ पुत्रों में सबसे बड़ा पुत्र दुर्योधन था। दुर्योधन गदा युद्ध में पारंगत था और श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम का शिष्य था।

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