ज़बान मुँह में रखना
अर्थ- चुप रहना, न बोलना।
प्रयोग- सब देखती है, सब समझती है, पर अपनी ज़बान मुँह में रखती है बेचारी। ...(राजा राधिका रमण प्रसाद सिंह)
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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