ज़हर का घूँट पीना
अर्थ - कड़ी और कड़वी बातें सुनकर भी चुप रह जाना।
प्रयोग - नोखेराम कभी-कभी उससे चिलम भरने या चारपाई बिछाने को भी कहते थे। तब बेचारा ज़हर का घूँट पीकर रह जाता था।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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