तपबल रचइ प्रपंचु बिधाता

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
तपबल रचइ प्रपंचु बिधाता
रामचरितमानस
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
भाषा अवधी भाषा
शैली सोरठा, चौपाई, छंद और दोहा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड बालकाण्ड
चौपाई

तपबल रचइ प्रपंचु बिधाता। तपबल बिष्नु सकल जग त्राता॥
तपबल संभु करहिं संघारा। तपबल सेषु धरइ महिभारा॥2॥

भावार्थ-

तप के बल से ही ब्रह्मा संसार को रचते हैं और तप के बल से ही बिष्णु सारे जगत् का पालन करते हैं। तप के बल से ही शम्भु (रुद्र रूप से) जगत् का संहार करते हैं और तप के बल से ही शेषजी पृथ्वी का भार धारण करते हैं॥2॥


पीछे जाएँ
तपबल रचइ प्रपंचु बिधाता
आगे जाएँ

चौपाई- मात्रिक सम छन्द का भेद है। प्राकृत तथा अपभ्रंश के 16 मात्रा के वर्णनात्मक छन्दों के आधार पर विकसित हिन्दी का सर्वप्रिय और अपना छन्द है। गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस में चौपाई छन्द का बहुत अच्छा निर्वाह किया है। चौपाई में चार चरण होते हैं, प्रत्येक चरण में 16-16 मात्राएँ होती हैं तथा अन्त में गुरु होता है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख