तानेउ चाप श्रवन लगि

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
तानेउ चाप श्रवन लगि
रामचरितमानस
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक 'रामचरितमानस'
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि।
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
शैली दोहा, चौपाई, छंद और सोरठा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड लंकाकाण्ड
सभी (7) काण्ड क्रमश: बालकाण्ड‎, अयोध्या काण्ड‎, अरण्यकाण्ड, किष्किंधा काण्ड‎, सुंदरकाण्ड, लंकाकाण्ड‎, उत्तरकाण्ड
दोहा

तानेउ चाप श्रवन लगि छाँड़े बिसिख कराल।
राम मारगन गन चले लहलहात जनु ब्याल॥ 91॥

भावार्थ

धनुष को कान तक तानकर राम ने भयानक बाण छोड़े। राम के बाण समूह ऐसे चले मानो सर्प लहलहाते (लहराते) हुए जा रहे हों॥ 91॥



पीछे जाएँ
तानेउ चाप श्रवन लगि
आगे जाएँ


दोहा- मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।



पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

पुस्तक- श्रीरामचरितमानस (लंकाकाण्ड) |प्रकाशक- गीताप्रेस, गोरखपुर |संकलन- भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|पृष्ठ संख्या-448

संबंधित लेख