तेरी सोहबत भी मुझे कैसी सज़ा देती है -शिवकुमार बिलगरामी
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कवि
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शिवकुमार 'बिलगरामी'
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जन्म
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12 अक्टूबर, 1963
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जन्म स्थान
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गाँव- महसोनामऊ, हरदोई, उत्तर प्रदेश
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मुख्य रचनाएँ
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'नई कहकशाँ’
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विधाएँ
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गीत एवं ग़ज़ल
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अन्य जानकारी
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शिवकुमार 'बिलगरामी' की रचनाओं में अनूठे बिम्ब और उपमाएं देखने को मिलती हैं। इनकी छंद पर गहरी पकड़ है जिसके कारण इनके गीतों और ग़ज़लों में ग़ज़ब की रवानी देखने को मिलती है।
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इन्हें भी देखें
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कवि सूची, साहित्यकार सूची
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शिवकुमार 'बिलगरामी' की रचनाएँ
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तेरी सेाहबत भी मुझे कैसी सज़ा देती है
पाक दामन में भी सौ दाग़ लगा देती है
मैं तो समझा था कि तू अक़्ल का पुतला होगा
पर तेरी ज़िद तेरी औक़ात बता देती है
तंज़ कस कर तेरी हँसने की ये आदत है जो
जिस्म और जां में मेरे आग लगा देती है
अपनी बातों को ज़रा सोच समझकर कह तू
तेरी हर बात मेरे दिल को दुखा देती है
इस सियासत से ज़रा बच के रहा कर आक़िल
अक़्लमंदों को भी कमअक़्ल बना देती है
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