दिबांग घाटी

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दिबांग घाटी पूर्वोत्तर अरुणाचल प्रदेश राज्य, पूर्वी भारत का पहाड़ी क्षेत्र। यह क्षेत्र बृहद हिमालय पर्वत श्रृंखला में स्थित है। इसकी उत्तरी एवं पूर्वी श्रृंखलाएं तिब्बत से लगती हैं।[1]

  • मिशमी पहाड़ियाँ, जो हिमालय का दक्षिणवर्ती विस्तार हैं, इस क्षेत्र का अधिकतम उत्तरी हिस्सा घेरती हैं। इनकी औसत ऊंचाई 4,500 मीटर है।
  • 3,950 मीटर पर 'योंग्याप' तथा 4,750 मीटर पर 'काया' जैसे दर्रे यहां जगह-जगह मिलते हैं।
  • इस क्षेत्र का नाम दिबांग नदी पर पड़ा है। 'अहुई', 'एभ्रा', 'अद्जोन' और 'द्री' धाराओं के साथ दिबांग दक्षिण की ओर बहती है और ब्रह्मपुत्र नदी से जा मिलती है।
  • दिबांग क्षेत्र के पहाड़ी हिस्से में 'बांज'[2], 'द्विफल'[3], 'हपुषा'[4] और चीड़ के उपोष्णीय सदाबहार वन हैं।
  • 'मिशमी', 'मिजू', 'इदू' (चुलीकट्टा), 'खामती' और 'सिंगफो' जनजातियाँ इस इलाके में निवास करती हैं तथा तिब्बती-बर्मी भाषाई कुल की बोलियां बोलती हैं।
  • सीढ़ीनुमा पहाड़ियों और नदी से लगे समतल भू-खंडों पर चावल, मक्का, ज्वार-बाजरा, आलू एवं कपास उगाए जाते हैं।
  • क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था के लिए वस्तु-विनिमय हाट महत्त्वपूर्ण है, मिशमी दक्षिण में असम के मैदानी इलाकों के लोगों के साथ कस्तूरी, मधुमक्खी-मोम, अदरक एवं मिर्चों का व्यापार करते हैं।
  • इस क्षेत्र में चिकनी मिट्टी, ग्रेफ़ाइट, चूना-पत्थर और तांबे का खनन होता है। कुटीर उद्योगों में बेंत का काम, कपड़ा बुनाई, चाँदी और लोहे का काम शामिल है।
  • अधिकतम दूरियां साधारण मार्गों से तय की जाती हैं, हालांकि कुछ पक्की सड़कें भी हैं।
  • 'अनिनी' इस क्षेत्र की प्रमुख बस्ती है। 'इगू', 'इदू', मिशमी पुजारियों का गंभीर गति-नृत्य, इस क्षेत्र से जुड़ा है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भारत ज्ञानकोश, खण्ड-3 |लेखक: इंदु रामचंदानी |प्रकाशक: एंसाइक्लोपीडिया ब्रिटैनिका प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली और पॉप्युलर प्रकाशन, मुम्बई |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 26 |
  2. ओक
  3. मेपल
  4. जुनिपर

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