नासिर जंग

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नासिर जंग हैदराबाद के आसफ़जाह निज़ामुल्मुल्क का द्वितीय पुत्र था। वह 1748 ई. में निज़ाम बना था, किंतु उसके भांजे मुजफ़्फ़र जंग ने उत्तराधिकार के सम्बन्ध में विवाद खड़ा दिया। उत्तराधिकार के इस युद्ध में डूप्ले ने हस्तक्षेप किया और आसफ़जाह के पुत्र नासिर जंग के विरुद्ध मुजफ़्फ़र जंग का पक्ष लिया। 1750 ई. में हुए एक अचानक युद्ध में नासिर जंग की मृत्यु हो गई।

  • फ़्राँसीसी गवर्नर डूप्ले और अर्काट के सिंहासन के दावेदार चन्दा साहब ने उत्तराधिकार के युद्ध में मुजफ़्फ़र जंग का साथ दिया।
  • नासिर जंग ने कर्नाटक पर आक्रमण करके अपने विरोधियों को मार्च, 1750 ई. में पराजित किया।
  • युद्ध में पराजय के परिणामस्वरूप मुजफ़्फ़र जंग ने आत्म समर्पण कर दिया।
  • विजयी होने के बाद भी नासिर जंग अधिक दिनों तक लाभ नहीं उठा नहीं पाया, क्योंकि दिसम्बर, 1750 ई. में ही एक आसस्मिक आक्रमण में वह मारा गया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

भारतीय इतिहास कोश |लेखक: सच्चिदानन्द भट्टाचार्य |प्रकाशक: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |पृष्ठ संख्या: 371 |


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