नुस्खा-ए-दिलकुशा

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नुस्खा-ए-दिलकुशा (अंग्रेज़ी: Nuskha-E-Dilkusha) की रचना कायस्थ जाति के भीमसेन ने फ़ारसी भाषा में की। वह मुग़ल बादशाह औरंगज़ेब की सेना में लिपिक था।

  • भीमसेन ने औरंगज़ेब की सेना के साथ कई युद्धों में भाग लिया था।
  • मुग़ल सेना द्वारा पनहाला का दुर्ग घेरे जाने पर उसने सैनिक सेवा छोड़ दी तथा नुस्खा-ए-दिलकुशा ग्रंथ की रचना शुरू की।
  • नुस्खा-ए-दिलकुशा में वर्णित घटनाएं सत्य हैं। लेखक ने ऐतिहासिक व्यक्तियों के चरित्र का यथार्थता में चित्रण किया है।
  • इस ग्रंथ में चापलूसी देखने को नहीं मिलती। अतः जे. एन. सरकार ने उसे महान संस्मरण लेखक माना है।


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