परिधावी संवत्सर

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परिधावी हिन्दू धर्म में मान्य संवत्सरों में से एक है। यह 60 संवत्सरों में छियालीसवाँ है। इस संवत्सर के आने पर विश्व में अन्न काफ़ी मंहगा होता है, वर्षा मध्यम होती है, प्राकृतिक उपद्रव होते रहते हैं और प्रजा कई प्रकार के रोगों से पीड़ित रहती है। इस संवत्सर का स्वामी इंद्राग्नी को कहा गया है।

  • परिधावी संवत्सर में जन्म लेने वाला शिशु विद्वान, सुशील, कला में कुशल, श्रेष्ठ बुद्धि वाला, राजमान्य, भ्रमणशील प्रवृत्ति वाला और व्यापार में प्रतिष्ठा प्राप्त करने वाला होगा।
  • ब्रह्माजी ने सृष्टि का आरम्भ चैत्र माह में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से किया था, अतः नव संवत का प्रारम्भ भी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से होता है।
  • हिन्दू परंपरा में समस्त शुभ कार्यों के आरम्भ में संकल्प करते समय उस समय के संवत्सर का उच्चारण किया जाता है।
  • संवत्सर 60 हैं। जब 60 संवत पूरे हो जाते हैं तो फिर पहले से संवत्सर का प्रारंभ हो जाता है।


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