बिहारी सतसई

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें

बिहारी सतसई बिहारी लाल की एकमात्र रचना है। बिहारी सतसई एक मुक्तक काव्य है जिसमें 719 दोहे संकलित हैं। बिहारी सतसई श्रृंगार रस की सुप्रसिद्ध और अनुपम रचना है। इसका हर एक दोहा हिन्दी साहित्य का अनमोल रत्न माना जाता है।

कुछ दोहे

सतसैया के दोहरे, ज्यों नैनन के तीर।
देखन में छोटे लगे, बेधे सकल शरीर।

मेरी भव- बाधा हरो राधा नागरि सोइ।
जा तन की झांई परे, श्याम हरित धुती होइ।।



पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख