बीजगणित

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बीजगणित (अंग्रेज़ी: Algebra) गणित की वह शाखा है, जिसके अंतर्गत संख्याओं के स्थान पर चिन्हों का इस्तेमाल किया जाता है। यह चर और अचर राशियों के समीकरण को हल करने तथा चर राशियों के मान को निकालने पर आधारित है। बीजगणित का विकास होने से गणित विषय के क्षेत्र में निर्देशांक ज्यामिति एवं कैलकुलस का विकास हुआ है, जिससे की गणित की उपयोगिता और भी बहुत ज्यादा बढ़ गयी है। इसकी मदद से विज्ञान और तकनीकी के विकास को एक नई गति मिली है।

अपरिहार्यता

बीजगणित लगभग सम्पूर्ण गणित को एक सूत्र में पिरोने वाला विषय है। आरम्भिक समीकरण हल करने से लेकर समूह, रिंग और फिल्ड का अध्ययन जैसे अमूर्त संकल्पनाओं का अध्ययन आदि अनेकानेक चीजें बीजगणित के अन्तर्गत आ जातीं हैं। बीजगणित के प्रगत अमूर्त भाग को अमूर्त बीजगणित कहते हैं। गणित, विज्ञान, इंजीनियरी ही नहीं चिकित्साशास्त्र और अर्थशास्त्र के लिए भी आरम्भिक बीजगणित अपरिहार्य माना जाता है। आरम्भिक बीजगणित, अंकगणित से इस मामले में अलग है कि यह सीधे संख्याओं का प्रयोग करने के बजाय उनके स्थान पर अक्षरों का प्रयोग करता है जो या तो अज्ञात होतीं हैं या जो अनेक मान धारण कर सकतीं हैं।

बीजगणित गणित की एक शाखा है जो संख्याओं के लिए अक्षरों को प्रतिस्थापित करता है, और एक बीजगणितीय समीकरण एक पैमाने का प्रतिनिधित्व करता है जहां पैमाने के एक तरफ जो किया जाता है वह पैमाने के दूसरी तरफ भी किया जाता है और संख्याएं स्थिरांक के रूप में कार्य करती हैं। बीजगणित में वास्तविक संख्या , जटिल संख्या, मैट्रिक्स, वैक्टर और गणित के प्रतिनिधित्व के कई और रूप शामिल हो सकते हैं।

शाखाएँ व क्षेत्र

बीजगणित में केवल समीकरणों का ही समावेश नहीं होता, इसमें बहुपद, वितत भिन्न, अनन्त गुणनफल, संख्या अनुक्रम, समघात या रूप, नये प्रकार की संख्याएँ जैसे संख्यायुग्म, सारणिक आदि अनेक प्रकरणों का अध्ययन किया जाता है। बीजगणित को प्रायः निम्नलिखित श्रेणियों में बांटा जा सकता है-

  1. प्रारम्भिक बीजगणित - यह प्रायः स्कूलों में 'बीजगणित' के नाम से पढ़ाया जाता है। विश्वविद्यालय स्तर पर पढ़ाया जाने वाला 'ग्रुप सिद्धान्त' भी प्रारम्भिक बीजगणित कहा जा सकता है।
  2. अमूर्त बीजगणित - इसे कभी-कभी 'आधुनिक बीजगणित' भी कहा जाता है। इसके अन्तर्गत ग्रुप्स, रिंग्स, फिल्ड्स आदि बीजगणितीय संरचनाएँ इसके अन्तर्गत सिखाई जाती हैं।
  3. रैखिक बीजगणित - इसमें सदिश स्पेस के गुणों का अध्ययन किया जाता है। मैट्रिक्स भी इसी के अन्तर्गत आता है।
  4. सर्वविषयक बीजगणित - इसमें सभी प्रकार के बीजगणितीय संरचनाओं के सर्वनिष्ट (कॉमन) गुणों का अध्ययन किया जाता है।
  5. बीजगणितिय संख्या सिद्धांत - इसमें संख्याओं के गुणों का अध्ययन बीजगणितीय पद्धति से किया जाता है। संख्या सिद्धान्त ने ही बीजगणित में अमूर्तिकरन का बीज बोया।
  6. बीजगणितीय ज्यामिति - यह ज्यामितीय समस्याओं पर अमूर्त बिजगणित का प्रयोग करती है।
  7. बीजगणितीय संयोजिकी - इसके अन्तर्गत संयोजिकी (क्रमचय-संचय) के प्रश्नों के हल के लिये अमूर्त बीजगणित का प्रयोग किया जाता है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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