भजन -विद्यापति

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
भजन -विद्यापति
विद्यापति का काल्पनिक चित्र
कवि विद्यापति
जन्म सन् 1350 से 1374 के मध्य
जन्म स्थान बिसपी गाँव, मधुबनी ज़िला, बिहार
मृत्यु सन् 1440 से 1448 के मध्य
मृत्यु स्थान मगहर, उत्तर प्रदेश
मुख्य रचनाएँ कीर्तिलता, मणिमंजरा नाटिका, गंगावाक्यावली, भूपरिक्रमा आदि
भाषा संस्कृत, अवहट्ट और मैथिली
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
विद्यापति की रचनाएँ

तीलक लगौने धनुष कान्ह पर टूटा बालक ठाढ़ छै
घुमि रहल छै जनकबाग में फूल तोरथ लेल ठाढ़ छै
श्याम रंग जे सबसँ सन्नर से सबहक सरदार छै
नाम पुछई छै राम कहै छै अबध के राजकुमार छै
धनुष प्रतीज्ञा कैल जनकजी के पूरा केनीहार छै
देस-देस के नृप आबि कढ धनैत अपन कघर छै
कियो बीर नहि बुझि पड़ै जछि तँ जनक के धिक्कार छै
एतबा सुनतहिं बजला लक्ष्मण ई कोन कठि पहार छै
बुझबा में नहिं अयलन्हि जनक कें एहि ठाम शेषावगर छै
चुटकी सँ मलि देब धनुष के ई त बड़ निस्सार छै
उठि क विश्वामित्र तखन सँ रा के करैत ठाढ़ छै
जखनहिं राम उठोलन्हि धनुष मचि गेल जय-जय कार छै
धन्य राम छथि धन्य लखनजी जानैत भरि संसार छै
साजि सखी के संग सीयाजी हाथ लेने जयमाल छै
तीलक लगौने धनुष कान्ह पर टूटा बालक ठाढ़ छै

सबरी के बैर सुदामा के तण्डुल
रुचि-रुचि भोग लगाबायन
शिब नारायण-नारायण-नारायण.....
दुर्योधन के घर मेवा त्यागि प्रभु
साग विदुर घर पाबायन
शिब नारायण-नारायण-नारायण.....
ग्याल-बाल जब डूबन लागै प्रभु
हरिजी के नाम उचारायण
शिब नारायण-नारायण-नारायण.....
गज और ग्राह लड़ै जल भीतर
लड़लि-लड़लि गज हारायण
शिब नारायण-नारायण-नारायण.....
नाक-कान जब डूबन लागै प्रभु
हरिजी के नाम उचारायण
हरिजी के नाम पुकारायन
शिब नारायण-नारायण-नारायण.....
गज के हेर सुनय यदुनन्दन
पांव पैदल उठि धाबायन
शिब नारायण-नारायण-नारायण.....
नारायण के चरण-कमल पर
सुमरि-सुमरि भन पारायण
शिब नारायण-नारायण-नारायण.....
ग्राह के आहि गजराज उबारे स्वामी
भक्तवत्सल कहलाबायन
शिब नारायण-नारायण-नारायण.....

सीताराम सँ मिलान कोना हैत
रे अन्देशबा लागि रही
राधे-श्याम सँ मिलान कोना हैत
रे अन्देशबा लागि रही
पैरो सँ तीर्थ कहियो ने कयलऊँ
कलजोरि किछु ने दाने
मुख सँ राम कहियो ने रलटऊँ
मोरा मोन भरल गुमाने
रे अन्देशबा लागि रही
सीता-राम सँ.....
हरी मिलत हैं बहुत भाग्य सँ
अधिक कठिनक बात
रे अन्देशबा लागि रही
कथी केर दीप कथी केर बाती नरय लागत दिन राति
जारि गेल दीप मिझा गेल बाती
मुरख रहल पछताय
रे अन्देशबा लागि रही
सीता-राम सँ मिलान कोना हैत रे
रे अन्देशबा लागि रही

भजन कबीर नीर्गुण
सबरी के अंगना में साधु-संत अयलखिन्ह
उठि सबरी नोर हे चरण हे पखाड़ि
सबरी चन्द्रामृत हे लेलखिन्ह लय-लय भवन छेतार
सबरी के अंगना में साधु-संत अयलखिन्ह
उठि सबरी नोर रे बहाय.....
माय तोरा हांटऊ सबरी
बाप तोरा बरजऊ है
आहे छोड़ू सबरी
साधु-सन्त साथ
सब समाज मिलि कड एक मत केलकिन्ह
राम एकमत केलकिन्ह
आहे सबरी के दियौ बनबास
झालि खजुरिया सबरी
आब काँखि जाबि लेलकई
काँकि दाबि लेलकई
भजन करैते रमि हे जाई
माय तोरा बरजऊ सबरी
बाप तोरा बरजऊ हे
छोड़ू सबरी साधु-सन्त के साथ
हिली लीयौ मिली हे लीयौ
संग के सखी सब
आहे भजन करैते रमि हे जाय
साहेब कबीर गेलन्हि नीरगुणिया हे
सन्तो भाई जानि लीयौ ने बिचारि
आब सन्तो भैया लीयौ ने बिचारि

कोने नगरिया एलइ बरियतिया सुनु मोर साजन हे
कोने नगरिया भड गेल शोर सुन मोरा साजन हे
कै लाख हाथी आबै कै लाख धोरबा
सुनु मोरा साजन हे.....
कै लाख पैदल बरियतिया
सुनु मोरा साजन हे.....
एक लाख हाथ आबै
सवा लाख छोड़बा
सुनु मोरा साजन हे.....
सबा लाख पैदल बरियतिया
सुनु मोरा साजन हे.....
कथिये चढ़ल आबै
कथिये चढ़ल आबै
दशरथ रसिलबा
सुनु मोरा साजन हे.....
कथिये चढ़ल आबै
लक्षुमन राम
सुनु मोरा साजन हे.....
हाथिये चढ़ल आबै
दशरथ रसिलबा
सुनु मोरा साजन हे.....
घोड़बे चढ़ल लक्षमण राम
सुनु मोरा साजन हे.....


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख