महाकुल

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महाकुल पाणिनिकालीन भारतवर्ष में प्रतिष्ठित और यशस्वी कुल को कहा जाता था। समाज में उनका स्थान बहुत ऊंचा माना जाता था।

विदुर ने उत्तर दिया- 'तप, दम, ब्रह्मज्ञान, यज्ञ, पुण्यविवाह, सदा अन्न दान और सम्यक आचार ये सात गुण जिनमें हों, वे महाकुल कहलाते हैं।'[1]


इन्हें भी देखें: पाणिनि, अष्टाध्यायी एवं भारत का इतिहास


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. पाणिनीकालीन भारत |लेखक: वासुदेवशरण अग्रवाल |प्रकाशक: चौखम्बा विद्याभवन, वाराणसी-1 |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 109-110 |

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