महाभारत युद्ध आठवाँ दिन

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महाभारत का आठवाँ दिन का युद्ध घनघोर था। इस दिन कौरवों ने कछुआ व्यूह तो पांडवों ने तीन शिखरों वाला व्यूह रचा। पांडु पुत्र भीम द्वारा धृतराष्ट्र के आठ पुत्रों का वध इस दिन कर दिया गया। अर्जुन की दूसरी पत्नी उलूपी के पुत्र इरावान का बकासुर के पुत्र अलम्बुष द्वारा वध होता है।

  • अपने पुत्र इरावान की मृत्यु से अर्जुन बहुत क्षुब्ध हो उठे। उन्होंने कौरवों की अपार सेना नष्ट कर दी।
  • आठवें दिन के युद्ध में घटोत्कच द्वारा दुर्योधन पर शक्ति का प्रयोग किया जाता है, परंतु बंग नरेश ने दुर्योधन को हटाकर शक्ति का प्रहार स्वयं के ऊपर ले लिया तथा बंग नरेश की मृत्यु हो जाती है। इस घटना से दुर्योधन के मन में मायावी घटोत्कच के प्रति भय व्याप्त हो जाता है।
  • तब भीष्म की आज्ञा से भगदत्त घटोत्कच को हराकर भीम, युधिष्ठिर व अन्य पांडव सैनिकों को पीछे ढकेल देता है।
  • दिन के अंत तक भीमसेन धृतराष्ट्र के नौ और पुत्रों का वध कर देता है।
  • महाभारत के आठवें दिन का भीषण युद्ध देखकर दुर्योधन कर्ण के पास गया। कर्ण ने उसे सांत्वना दी कि भीष्म का अंत होने पर वह अपने दिव्यास्त्रों से पांडव सेना का अंत कर देगा।
  • दुर्योधन भीष्म पितामह के भी पास गया और बोला- "पितामह! लगता है आप जी लगाकर नहीं लड़ रहे। यदि आप भीतर-ही-भीतर पांडवों का समर्थन कर रहे हों तो आज्ञा दीजिए मैं कर्ण को सेनापति बना दूँ।" भीष्म पितामह ने दुर्योधन से कहा कि- "योद्धा अंत तक युद्ध करता है। कर्ण की वीरता तुम विराट नगर में देख चुके हो। कल के युद्ध में मैं कुछ कसर न छोडूँगा।"[1]
  • आठवें दिन के युद्ध में अर्जुन के पुत्र इरावान की मृत्यु से पांडवों की क्षति होती है, जबकि धृतराष्ट्र के 17 पुत्रों का भीम द्वारा वध कर दिया जाता है। आज के दिन कौरव पक्ष को अधिक क्षति होती है।


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