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महाभारत युद्ध तीसरा दिन

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युद्ध के तीसरे दिन पांडव सेना के सामने कौरवों की एक न चली। कौरवों ने गरुड़ तथा पांडवों ने अर्धचन्द्र जैसी सैन्य व्यूह रचना की।

  • कौरवों की ओर से दुर्योधन तथा पांडवों की ओर से भीमअर्जुन अपने-अपने व्यूहों की सुरक्षा कर रहे थे।
  • इस दिन भीम ने घटोत्कच के साथ मिलकर दुर्योधन की सेना को युद्ध से भगा दिया। यह देखकर भीष्म भीषण संहार मचा देते हैं।
  • श्रीकृष्ण अर्जुन को भीष्म का वध करने को कहते हैं, परंतु अर्जुन उत्साह से युद्ध नहीं कर पाते, जिससे श्रीकृष्ण स्वयं भीष्म को मारने के लिए उद्यत हो जाते हैं। अर्जुन उन्हें प्रतिज्ञारूपी आश्वासन देकर कौरव सेना का भीषण संहार करते हैं। वे एक दिन में ही समस्त प्राच्य, सौवीर, क्षुद्रक और मालव क्षत्रियगणों को मार गिराते हैं।
  • भीम के बाण से दुर्योधन अचेत हो जाता है, तभी उसका सारथी रथ को भगा ले जाने में सफल हो जाता है। कौरव ये समझते हैं कि दुर्योधन युद्ध-क्षेत्र से भाग खड़ा हुआ है, जिस कारण कौरव सैनिकों में भगदड़ मच जाती है।
  • इस दिन के युद्ध में भीम अकेले ही सैकड़ों कौरव सैनिकों को मार गिराते हैं।
  • संध्या के समय युद्ध बंद होने पर दुर्योधन भीष्म के शिविर में जाता है और कहता है- "पितामह! आप मन लगाकर युद्ध नहीं करते।" भीष्म यह सुनकर क्रोधित हो उठते हैं और कहते हैं कि- "पांडव अजेय हैं, फिर भी मैं प्रयास करूँगा।"[1]
  • महाभारत युद्ध के तीसरे दिन भी कौरवों को ही अधिक क्षति उठाना पड़ी। उनके प्राच्य, सौवीर, क्षुद्रक और मालव वीर योद्धा मारे जाते हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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