मृदुला सिन्हा

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
मृदुला सिन्हा
मृदुला सिन्हा
पूरा नाम मृदुला सिन्हा
जन्म 27 नवंबर, 1942
जन्म भूमि मुजफ्फपुर, बिहार
मृत्यु 18 नवंबर, 2020
पति/पत्नी डॉक्टर रामकृपाल सिन्हा
कर्म भूमि भारत
मुख्य रचनाएँ ज्यों मेहँदी को रंग, नई देवयानी, घरवास, अतिशय, आईने के सामने, देखने में छोटे लागे आदि।
शिक्षा एमए और बीएड
प्रसिद्धि मनोविज्ञान में राजनीतिज्ञ तथा लेखिका
नागरिकता भारतीय
राज्यपाल, गोवा 26 अगस्त, 2014 से 23 अक्टूबर, 2019 तक
अन्य जानकारी मृदुला सिन्हा ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सेंट्रल सोशल वेलफेयर बोर्ड की चेयरपर्सन का पद भी संभाला। इसके अलावा वे जयप्रकाश नारायण के 'समग्र कांति' का भी हिस्सा रहीं।
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची

मृदुला सिन्हा (अंग्रेज़ी: Mridula Sinha, जन्म- 27 नवंबर, 1942, मुजफ्फपुर, बिहार; मृत्यु- 18 नवंबर, 2020) भारतीय जनता पार्टी की वरिष्ठ नेता और गोवा की पूर्व राज्यपाल थीं। वे शुरू से जनसंघ से जुड़ी रहीं। उनकी गिनती बीजेपी के प्रभावी नेताओं में की जाती थी। वह एक सफल राजनीतिज्ञ के अलावा एक सफल लेखिका भी रहीं। उन्होंने अपने जीवन में 46 से ज्यादा किताबें लिखीं हैं। विजयाराजे सिंधिया पर लिखी उनकी किताब ‘एक थी रानी ऐसी भी’ पर फिल्म भी बनी थी।

परिचय

27 नवंबर, 1942 को बिहार के मुजफ्फपुर में जन्मीं मृदुला सिन्हा गोवा की पहली महिला राज्यपाल थीं। उन्होंने मनोविज्ञान में एमए और बीएड किया था। इसके बाद कुछ समय मुजफ्फरपुर के एक कॉलेज में पढ़ाया। मोतिहारी में एक स्कूल की प्रिंसिपल भी रहीं। बाद में नौकरी छोड़कर पूरी तरह लेखन में रम गईं।[1]

राजनीति के अलावा साहित्य की दुनिया में भी उनका नाम काफी ऊंचा था। उन्होंने अपने जीवन में 46 से ज्यादा किताबें लिखीं हैं। विजयाराजे सिंधिया पर लिखी उनकी किताब ‘एक थी रानी ऐसी भी’ पर फिल्म भी बनी थी। मृदुला सिन्हा के पति डॉक्टर रामकृपाल सिन्हा बिहार में कैबिनेट मंत्री और केंद्र सरकार में राज्य मंत्री रहे। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के दौरान मृदुला सिन्हा केंद्रीय समाज कल्याण बोर्ड की अध्यक्ष रहीं। बाद में उन्हें गोवा की राज्यपाल बनाया गया था।[2]

राजनीति

राजनीतिक जीवन की बात करें तो बीजेपी की वरिष्ठ नेता मृदुला सिन्हा भाजपा की महिला मोर्चा की अध्यक्ष रह चुकी थीं। उन्होंने मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सेंट्रल सोशल वेलफेयर बोर्ड की चेयरपर्सन का पद भी संभाला। इसके अलावा वे जयप्रकाश नारायण के 'समग्र कांति' का भी हिस्सा रहीं। मृदुला सिन्हा के पति डॉक्टर रामकृपाल सिन्हा एक कॉलेज में लेक्चरर थे, जो बाद में बिहार सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे।[3]

लेखन कार्य

मृदुला जी की पहचान राजनेता के साथ हिंदी लेखिका की भी रही। वे 'पांचवां स्तम्भ' नाम से एक सामाजिक पत्रिका निकाल चुकी थीं। उन्होंने अलग-अलग विषयों पर 46 पुस्तकें और उपन्यास लिखे। विजयाराजे सिंधिया पर लिखी उनकी किताब ‘एक थी रानी ऐसी भी’ पर फिल्म भी बनी थी। वे लोक परंपराओं पर लगातार लिखती रहीं। छठ पर्व उनका प्रिय विषय था और उन्होंने लेखन में इसे लगातार शामिल किया।

  1. उपन्यास - ज्यों मेहँदी को रंग, नई देवयानी, घरवास, अतिशय।
  2. कहानी संग्रह - साक्षात्कार, स्पर्श की तासीर, एक दीये की दीवाली।
  3. निबंध संग्रह - आईने के सामने, क ख ग, मानवी के नाते।
  4. लघुकथा संग्रह - देखने में छोटे लागे।

पुराण के बच्चे, बिहार की लोककथाऍं: भाग 1,2; राजपथ से लोकपथ पर[4]

प्रकाशित कृतियाँ

  1. राजपथ से लोकपथ पर (जीवनी)
  2. नई देवयानी (उपन्यास)
  3. ज्यों मेंहदी को रंग (उपन्यास)
  4. घरवास (उपन्यास)
  5. यायावरी आँखों से (लेखों का संग्रह)
  6. देखन में छोटे लगें (कहानी संग्रह)
  7. सीता पुनि बोलीं (उपन्यास)
  8. बिहार की लोककथायें -एक (कहानी संग्रह)
  9. बिहार की लोककथायें -दो (कहानी संग्रह)
  10. ढाई बीघा जमीन (कहानी संग्रह)
  11. मात्र देह नहीं है औरत (स्त्री-विमर्श)
  12. विकास का विश्‍वास (लेखों का संग्रह)
  13. साक्षात्‍कार(कहानी संग्रह)

पुरस्कार व सम्मान

मृदुला सिन्हा को उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान का 'साहित्य भूषण सम्मान', 'दीनदयाल उपाध्याय पुरस्कार' समेत कई दूसरे सम्मान और पुरस्कार मिले। इनके अलावा कई साहित्यिक मंचों से भी उन्हें सम्मानित किया गया।

मृत्यु

मृदुला सिन्हा का निधन 18 नवंबर, 2020 को हुआ। मृदुला जी शुरू से जनसंघ से जुड़ी रहीं और भाजपा की प्रभावी नेता थीं। उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने दु:ख जताया। नरेंद्र मोदी ने कहा कि "मृदुला सिन्हा जी हमेशा जनसेवा को लेकर अपने प्रयासों के लिए याद की जाएंगी। वो एक कुशल लेखक थीं, जिन्होंने संस्कृति के साथ-साथ साहित्य की दुनिया में भी बहुत बड़ा योगदान दिया है। उनके निधन से दु:खी हूं। उनके परिवार और प्रशंसकों के साथ मेरी संवेदनाएं हैं"।

गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि "गोवा की पूर्व राज्यपाल व वरिष्ठ भाजपा नेता मृदुला सिन्हा जी का निधन बहुत दु:खद है। उन्होंने जीवन पर्यन्त राष्ट्र, समाज और संगठन के लिए काम किया। वह एक निपुण लेखिका भी थीं, जिन्हें उनके लेखन के लिए भी सदैव याद किया जाएगा। उनके परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं। ॐ शान्ति"।

बिहार के बेगुसराय से भारतीय जनता पार्टी के सांसद गिरिराज सिंह ने भी मृदुला सिन्हा के निधन पर उन्हें श्रद्धांजलि दी। गिरिराज सिंह ने ट्विटर पर उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए लिखा कि- "गोवा की पूर्व राज्यपाल, प्रख्यात साहित्यकार एवं भाजपा की वरिष्ठ नेत्री मृदुला सिन्हा जी के निधन से मन व्यथित है। उनका निधन भाजपा परिवार के लिए एक अपूर्णीय क्षति है। हमारे माथे पर से एक आशीर्वाद उठ गया। प्रभु उनकी आत्मा को शांति दें"।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. गोवा की पूर्व राज्यपाल मृदुला सिन्हा नहीं रहीं (हिंदी) bhaskar.com। अभिगमन तिथि: 19 नवंबर, 2020।
  2. गोवा की पूर्व राज्यपाल मृदुला सिन्हा का निधन (हिंदी) aajtak.in। अभिगमन तिथि: 19 नवंबर, 2020।
  3. गोवा की पूर्व राज्यपाल मृदुला सिन्हा का निधन (हिंदी) hindi.news18.com। अभिगमन तिथि: 19 नवंबर, 2020।
  4. राजमाता विजयाराजे सिंधिया की आत्मकथा का संपादन

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख