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राक्षस संवत्सर

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राक्षस हिन्दू धर्म में मान्य संवत्सरों में से एक है। यह 60 संवत्सरों में उनचासवाँ है। इस संवत्सर के आने पर विश्व में प्रजा बड़ी निष्ठुर हो जाती है और उसमें निष्क्रियता की वृद्धि होती है। राजाओं में युद्ध छिड़ा रहता है। इस संवत्सर का स्वामी विष्णु को माना गया है।

  • राक्षस संवत्सर में जन्म लेने वाला शिशु क्रूर स्वभाव वाला, कुत्सित कर्मों को करने वाला, दया से हीन, साहसी, कलही तथा मांस का भक्षण करने वाला होगा।
  • ब्रह्माजी ने सृष्टि का आरम्भ चैत्र माह में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से किया था, अतः नव संवत का प्रारम्भ भी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से होता है।
  • हिन्दू परंपरा में समस्त शुभ कार्यों के आरम्भ में संकल्प करते समय उस समय के संवत्सर का उच्चारण किया जाता है।
  • संवत्सर 60 हैं। जब 60 संवत पूरे हो जाते हैं तो फिर पहले से संवत्सर का प्रारंभ हो जाता है।


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