वीर नरसिंह

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वीर नरसिंह (1505-1509 ई.) नरसा नायक का पुत्र और कृष्णदेव राय (1509-1529 ई.) का बड़ा भाई था। 1505 में वीर नरसिंह ने सालुव वंश के नरेश इम्माडि नरसिंह की हत्या करके स्वंय विजयनगर साम्राज्य के सिंहासन पर अधिकार कर लिया और 'तुलुव वंश' की स्थापना की।

  • वीर नरसिंह का पिता नरसा नायक सालुव वंश का एक सेनानायक था। नरसा नायक को सालुव वंश के दूसरे और अन्तिम अल्प वयस्क शासक इम्माडि नरसिंह का संरक्षक बनाया गया था।
  • इम्माडि नरसिंह अल्पायु था, इसलिए नरसा नायक ने उचित मौके पर उसे कैद कर लिया और सम्पूर्ण उत्तर भारत पर अधिकार कर लिया। 1503 ई. में नरसा नायक की मृत्यु हो गई।
  • वीर नरसिंह ने 1505 ई. में बन्दी बनाये हुए इम्माडि नरसिंह की हत्या कर दी और स्वयं शासक बनकर 'तुलुव वंश' की स्थापना की।
  • नरसिंह का पूरा शासन काल आन्तरिक विद्रोह एवं आक्रमणों से प्रभावित रहा। 1509 ई. में वीर नरसिंह की मृत्यु हो गयी।
  • यद्यपि वीर नरसिंह का शासन काल अल्प रहा, परन्तु फिर भी उसने सेना को सुसंगठित किया। उसने अपने नागरिकों को युद्ध प्रिय तथा मज़बूत बनने के लिय प्रेरित किया।
  • वीर नरसिंह ने पुर्तग़ाली गवर्नर अल्मीडा से उसके द्वारा लाये गये सभी घोड़ों को ख़रीदने के लिए एक समझौता किया था।
  • अपने राज्य से वीर नरसिंह ने विवाह कर को हटाकर एक उदार नीति को आरंभ किया।
  • नूनिज द्वारा वीर नरसिंह का वर्णन एक ‘धार्मिक राजा’ के रूप में किया गया है, जो पवित्र स्थानों पर दान किया करता था।
  • वीर नरसिंह की मृत्यु के पश्चात् उसका अनुज कृष्णदेव राय विजयनगर के सिंहासन पर आरूढ़ हुआ।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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