शंकराचार्य के अनमोल वचन

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शंकराचार्य के अनमोल वचन
  • जीवित होते हुए भी मृत के समान कौन है? जो पुरुषार्थहीन है।
  • ये तीन दुर्लभ हैं और ईश्वर के अनुग्रह से ही प्राप्त होते हैं- मनुष्य जन्म, मोक्ष की इच्छा और महापुरुषों की संगति।
  • प्राणियों के लिए चिंता ही ज्वर है।
  • दरिद्र कौन है? भारी तृष्णा वाला। और धनवान कौन है? जिसे पूर्ण संतोष है।
  • ज्ञाताज्ञात पाप ही अंत:करण की मलिनता है। जब तक अंत:करण मलरहित, पापरहित नहीं होगा, तब तक वास्तविक दृष्टि का उदय नहीं होगा।
  • सबसे उत्तम तीर्थ अपना मन है जो विशेष रूप से शुद्ध किया हुआ हो।
  • संत कौन हैं? संपूर्ण संसार से जिनकी आसक्ति नष्ट हो गई है, जिनका अज्ञान नष्ट हो चुका है और जो कल्याणस्वरूप परमात्मा तत्व में स्थित हैं।
  • माता के समान सुख देने वाली कौन है? उत्तम विद्या। देने से क्या बढ़ती है? उत्तम विद्या।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ


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